UP News: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक ऐसी घटना घटी है, जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। यहां नौ साल पहले सिर्फ 50 रुपये के लेन-देन ने एक निर्दोष की जान चली गई थी। वहीं आज उसी का बदला लिया गया। आरोपी, जो अब शिकार बन गया, उसी मिट्टी में सुला दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ये कहानी है साल 2016 की, जब महोबा के कालीस पहाड़ी गांव में एक मामूली विवाद के चलते किसी निर्दोष को सूली पर चढ़ा दिया गया। यहां स्थानीय निवासी बृजेंद्र राजपूत ने जयपाल नामक व्यक्ति की हत्या कर दी। इस हत्या के पीछे का कारण था सिर्फ 50 रुपये। जानकारी के अनुसार, बृजेंद्र ने जयपाल से 50 रुपये उधार लिए थे, लेकिन बाद में पैसे लौटाने से बना कर दिया। इसी वजह से बृजेंद्र ने गुस्से में आकर जयपाल को चाकू से मार डाला। जिसके बाद बृजेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
वहीं, जयपाल का परिवार डर के मारे गांव छोड़कर करीब 30 किलोमीटर दूर चरखारी कस्बे में बस गया। बृजेंद्र की पत्नी ने भी उसे छोड़ दिया और पूरा परिवार टूट गया। लेकिन कभी किसी ने सोचा था कि क्या ये मामला फिर बदले की चिंगारी के तौर पर सामने आएगा। जयपाल के परिवार ने चुपचाप अपना दर्द को सभी से छुपाया और जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश की। लेकिन जयपाल की मौत ने कभी परिवार को शांति से बैठने नहीं दिया।
बेल पर रिहाई और आखिर में मिली मौत
दरअसल, 2023 में हाई कोर्ट से बेल मिलने के बाद बृजेंद्र जेल से बाहर आया। वह अपने पिता परशुराम राजपूत के साथ चरखारी के धनुषधारी मोहल्ले में रहने लगा। जीवन पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुरानी जख्में हरी थीं। बृजेंद्र पर अवैध शराब के एक मामले में भी मुकदमा चल रहा था, जिसकी वजह से वह नियमित रूप से महोबा कोर्ट जाता रहता। फिर आया वह काला सोमवार 22 सितंबर 2025। सुबह 9 बजे बृजेंद्र चरखारी से कोर्ट के लिए निकला और शाम को वापस घर लौटने लगा। लेकिन वह कभी घर नहीं पहुंच सका।
ज्यादा समय बीत जाने पर उसकी खोजबीन शुरू हुई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, देर रात कालीस पहाड़ी गांव में उसी जगह—जहां नौ साल पहले जयपाल की लाश गिरी थी—बृजेंद्र का खून से लथपथ शव बरामद हुआ। 45 वर्षीय बृजेंद्र के शरीर पर तेज धार वाले हथियार के कई निशान थे और सिर पर चोटों के कई निशान थे। हत्या इतनी बेरहम थी कि गांव वाले सिहर उठे।
बदले की साजिश में ली आरोपी की जान
बृजेंद्र के परिवार ने बिना देर किए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। मां मझलीबाई और पिता परशुराम ने साफ आरोप लगाया कि यह जयपाल के बेटों और भतीजों का बदला है। नाम लिए गए जयपाल के बेटे अरुण (24 वर्ष), गौकरन (26 वर्ष), बब्बू (29 वर्ष), और भतीजे पवन, अर्जुन व महेश। मझलीबाई ने तो यहां तक कहा कि 2016 वाली हत्या में उनका बेटा निर्दोष था, उसे फंसाया गया था। जयपाल के सबसे बड़े बेटे की उम्र उस वक्त महज 20 वर्ष थी, जो अब बदले की आग में जल रहा हो सकता है। जयपाल का परिवार अब चरखारी में रहता है, लेकिन पुरानी दुश्मनी ने उन्हें वापस खींच लिया।
Leave a comment