Bangladesh Violence: वो तीन छात्र जिनके कारण शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश, छोटी उम्र में बड़ी क्रांति

Bangladesh Violence: वो तीन छात्र जिनके कारण शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश, छोटी उम्र में बड़ी क्रांति

Bangladesh Students Movement: साल 1971 के समय अस्तित्व में आया बांग्लादेश के हिस्से आंदोलनों और तख्तापलट की कई कहानियां हैं। पिछले दो दशकों से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को आंदोलन के समक्ष ना सिर्फ झुकना पड़ा बल्कि उन्हें देश छोड़ कर भी भागना पड़ा। जुलाई के महीने में शुरु हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन ने पूरे देश को सड़कों पर ला कर खड़ा कर दिया। हालांकि, इस आंदोलन की शुरुवात मात्र तीन छात्रों से हुई थी। ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार ने इस आरक्षण विरोधी आंदोलन की नींव रखी थी। गौरतलब है कि, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाई जाएगी, जिसमें समाज के हर पेशे के लोगों को हिस्सा बनाया जाएगा। वहीं, शेख हसीना अभी भी भारत में ही हैं। माना जा रहा है कि वो इंग्लैंड या फिनलैंड जा सकती हैं।

कौन हैं तीनों छात्र?

ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले तीन छात्रों ने सबसे अधिक दिनों तक सत्ता संभालने वालीं शेख हसीना को सत्ता से ही नहीं उतारा, बल्कि उन्हें देश से भी भागने को मजबूर कर दिया। शेख हसीना के देश छोड़ देने के बाद तीनों छात्रों ने कैमरा के सामने आकर यह घोषणा की है कि अंतरिम सरकार के मुखिया नोबेल पुरस्कार व अर्थशास्त्री डॉ युनूस होंगे। नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार, ढाका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं। इन्हीं तीनों छात्रों ने स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट का नेतृत्व किया और सरकार से मांग की कि नई कोटा प्रणाली में बदलाव किया जाए। जब बदलाव करने से सरकार ने मना कर दिया तो इन्हीं तीनों छात्रों की अगुवाई में आंदोलन शुरु हुआ। हालांकि, 19 जुलाई को इस तीनों छात्रों को अगवा कर लिया गया था। इस दौरान इन तीनों छात्रों के साथ मारपीट भी की गई लेकिन बाद में इन्हें छोड़ दिया गया। इन तीनों छात्रों ने छुटने के बाद फिर से आंदोलन की कमान संभाली और इसके महज 10 दिनों में ही शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा।  

300 लोगों की हुई मौत

गौरतलब है कि कब यह आंदोलन आरक्षण के विरोध से सरकार विरोधी हो गया, किसी को पता भी नहीं चला। जब सरकार ने नए कोटा सिस्टम को वापस लेने से मना कर दिया तो छात्र सड़को पर उतर कर आंदोलन करने लगे। हालांकि, इसी बीच कई जगहों से हिंसा की खबरें सामने आई। फिर धीरे-धीरे पुलिस और प्रदर्शकारियों के बीच खुनी संघर्ष शुरु हो गया। इस संघर्ष में करीब 300 लोगों की जान चली गई है। हालांकि, शेख हसीना के देश छोड़ते ही कई सरकार समर्थकों की हत्या कर दी गई हैं। तो वहीं कई नेताओं के घरों को जला दिया गया है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद और 100 लोगों की मौत हो गई है।  

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