Russia-Ukrain Peace Talk: ट्रंप के दबाव में पटरी से उतर रही रूस-यूक्रेन शांति वार्ता, पुतिन ने क्यों बनाई दूरी?

Russia-Ukrain Peace Talk: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही शांति वार्ता एक बार फिर अस्थिरता के दौर में पहुंच गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते दबाव और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सतर्क रणनीति ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। ताजा अपडेट्स के अनुसार, पुतिन ने तुर्की में प्रस्तावित शांति वार्ता में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने से इनकार कर दिया है, जिससे वार्ता को बड़ा झटका लगा है।
पुतिन के दूरी का कारण
क्रेमलिन ने पुष्टि की है कि पुतिन इस्तांबुल में होने वाली वार्ता में नहीं जाएंगे और रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व व्लादिमीर मेडिंस्की करेंगे। सलाहकारों का मानना है कि पुतिन का यह कदम ट्रंप के आक्रामक रुख और रूस पर लगातार बढ़ रहे दबाव का जवाब हो सकता है। पुतिन ने हाल ही में 30 दिन के युद्धविराम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, जिसे ट्रंप ने सऊदी अरब में यूक्रेनी अधिकारियों के साथ मिलकर तैयार किया था। इसके बजाय, पुतिन ने स्थायी शांति और संघर्ष के मूल कारणों को हल करने पर जोर दिया है।
ट्रंप का दबाव: धमकी या कूटनीति?
ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश की है। उन्होंने पुतिन को चेतावनी दी है कि यदि रूस शांति वार्ता में प्रगति नहीं दिखाता, तो अमेरिका रूसी तेल निर्यात पर 25-30% अतिरिक्त टैरिफ लगा सकता है। ट्रंप ने यह भी दावा किया है कि वह युद्ध को समाप्त करने में सक्षम हैं, लेकिन उनकी रणनीति में स्पष्टता की कमी दिखाई देती है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का रुख रूस को वार्ता की मेज पर लाने के बजाय उसे और सतर्क बना रहा है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका
तुर्की और सऊदी अरब जैसे देश मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रूस की अनिच्छा और अमेरिका की सख्ती के बीच प्रगति रुकी हुई है। भारत ने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है और स्थायी शांति के लिए दोनों पक्षों की सहमति पर जोर दिया है।
पुतिन की दूरी और ट्रंप के दबाव ने शांति की उम्मीदों को धूमिल किया है। जिसके कारण लोगों का मानना है कि बिना आपसी विश्वास और ठोस कूटनीति के यह युद्ध जल्द खत्म होने की संभावना कम है।
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