
Uttarakhand News: उत्तराखंड के ऊंचे क्षेत्रों जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ और औली में अभी तक इस साल अच्छी बर्फबारी नहीं हुई है। ये जानकारी अधिकारियों ने दी। मौसम विभाग और विशेषज्ञों ने कहा कि ये कोई असामान्य स्थिति नहीं है। 29 दिसंबर से होने वाली बारिश उच्च क्षेत्रों में बर्फबारी का कारण बन सकती है, जिसमें उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ शामिल हैं।
क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक?
मौसम वैज्ञानिक रोहित थापिल्याल ने बताया कि पोस्ट-मॉनसून यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच इस क्षेत्र में सामान्यत: लगभग 48 मिमी बारिश होती है। इस साल अक्टूबर और नवंबर में कुल 42 मिमी बारिश हुई, जिसमें अधिकतर अक्टूबर में हुई। पिछले सालों की तुलना में कम या देर से बर्फबारी को असामान्य नहीं कहा जा सकता।
एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रमुख एम पी एस बिष्ट ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में शिखर पर मुख्य बर्फबारी जनवरी और फरवरी में होती है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिक तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए, बिना सोचे-समझे तुलना करना ठीक नहीं है।
लोगों ने जताई चिंता
हालांकि, स्थानीय लोग बर्फबारी होने को लेकर चिंतित हैं। बद्रीनाथ के एक होटल मालिक विशाल नैथानी ने बताया कि अभी तक क्षेत्र में बर्फ नहीं गिरी है। उन्होंने कहा कि मैं बुधवार दोपहर बद्रीनाथ से लौटा और देखा कि बर्फ नहीं हुई। पिछले साल इस समय तक बर्फबारी हो चुकी थी। आमतौर पर दिसंबर में बर्फ गिरनी शुरू हो जाती है और जनवरी-फरवरी में ये बढ़ जाती है।
औली और जोशीमठ के होटलियर अजय भट्ट ने भी पिछले साल की तुलना में स्थिति अलग बताई। इसके बावजूद उन्होंने पर्यटन की उम्मीद जताई। क्रिसमस और नए साल के लिए होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे लगभग पूरी तरह बुक हैं। पर्यटक उम्मीद कर रहे हैं कि इस अवधि में बर्फबारी होगी।
विशेषज्ञों ने दी जानकारी
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड में बर्फबारी का समय हर साल थोड़ा अलग हो सकता है और अभी तक बर्फ न गिरना असामान्य नहीं है। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में बर्फबारी शुरू होगी, जिससे पर्यटक और स्थानीय व्यवसाय दोनों लाभान्वित होंगे।
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