ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार विनोद शुक्ल का निधन, 89 की उम्र में ली अंतिम सांस

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार विनोद शुक्ल का निधन, 89 की उम्र में ली अंतिम सांस

Vinod Kumar Shukal Passes Away: हिंदी के विश्व विख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल ने 23 दिसंबर को रायपुर एम्स ने अंतिम सांस ली। पीएम मोदी ने पिछले महीने एक नवंबर को विनोद कुमार शुक्ल से बातचीत की थी और उनका हाल-चाल जाना था।

रिपोर्ट के मुताबिक, विनोद कुमार शुक्ल के बेटे शाश्वत शुक्ल ने कहा कि सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विनोद शुक्ल के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा शाश्वत और एक बेटी भी है। बेटे शाश्वत ने कहा कि पार्थिव शरीर को निवास स्थान ले जा जाएगा। हालांकि, उनके अंतिम संस्कार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है।

अक्टूबर में हुई थी तबीयत खराब

उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2025 में सांस लेने में हो रही तकलीफ के बाद विनोद कुमार शुक्ल को रायपुर के एक अस्पताल में एडमिट कराया गया था। हालांकि, तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। तब से वह घर पर ही डॉक्टर की निगरानी में थे। शाश्वत शुक्ल ने बताया कि 2 दिसंबर 2025 को अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें रायपुर एम्स ले जाया गया जहां उनका इलाज हो रहा था।  

विनोद शुक्ल की रचनाएं

साहित्यकार विनोद शु्क्ल ने नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी और  एक चुप्पी जगह  जैसे उपन्यासों की रचना की है। जिसके लिए उन्हें 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 21 नवंबर को शुक्ल को उनके रायपुर स्थित निवास पर आयोजित एक समारोह में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पीएम मोदी ने जताया शोक 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसिद्ध लेखर विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। हिंदी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।  

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