रामलला का 'सूर्य तिलक' आज, कुछ घंटो बाद इस तरह जगमगा उठेगा भगवान का मस्तक

रामलला का 'सूर्य तिलक' आज, कुछ घंटो बाद इस तरह जगमगा उठेगा भगवान का मस्तक

Ramlala Surya Tilak: देशभर में बुधवार (17April) यानी आज रामनवमी की धूम है। लेकिन इस बार रामनवमी का उत्सव अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद एकदम अद्भुत होने वाली है। आज का विशेष आकर्षण यहां पर सूर्य तिलक होने वाला है। आपको बता दें, अयोध्या के राम मंदिर में राम नवमी के शुभ अवसर पर बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है। इस शुभ दिन पर कुल 56 प्रकार के भोग रामलला को लगाए जाएगा।

आज अयोध्या मंदिर में सुबह 3.30 बजे मंगला आरती की गई। अब इसके बाद 19 घंटे तक रामलला अपने भक्तों को दर्शन देंगे। बाकी सभी पूजा-विधि पहले की तरह होने वाली है। भगवान भोग ग्रहण करें इसके लिए अल्प-काल के लिए समय-समय पर पर्दा किया जाएगा। रामनवमी तिथि पर शयन आरती संपन्न हो जाने पर मंदिर निकास मार्ग पर भक्तों को प्रसाद भी दिया जाएगा।

12:16 बजे का समय तय किया गया

अयोध्या के राम मंदिर में सूर्य किरणों से रामलला के महामस्तक पर अभिषेक की पूरी तैयारी हो चुकी है। मंगलवार को फिर से वैज्ञानिकों ने सूर्य तिलक का सफल ट्रायल कर लिया है। वैज्ञानिकों के कई  ट्रायल के बाद रामलला के सूर्य तिलक के लिए सटीक समय तय किया गया है। सूर्य तिलक के लिए दोपहर के 12:16 बजे का समय तय किया गया है। मंदिर व्यवस्था में लगे लोगों का कहना है कि यह विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय है।

जगमगा उठेगा भगवान का मस्तक

वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में सूर्य की गति का अध्ययन अयोध्या के आकाश में किया और उसके बाद सटीक दिशा आदि तय किया। इसके बाद मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस को स्थापित किया गया। उसके बाद रामलला के ललाट पर सूर्य रश्मियों को घुमाकर ले जाया गया। सूर्य की किरणें पहले ऊपरी तल के लेंस पर पड़ेंगी उसके बाद तीन लेंस से होकर दूसरे तल के मिरर पर पहुंचेंगी और आखिर में रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणें 75 मिलीमीटर के टीके के रूप प्रकाशित होंगी। लगभग 4 मिनट तक यह टीका प्रकाशित होगा।

सूर्य तिलक के समय नौ शुभ योग

जब दोपहर 12 बजे रामलला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा उसी दौरान तब सूर्य तिलक भी किया जाएगा। उस समय केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल के साथ ही रवियोग बन रहे होंगे। आचार्य राकेश तिवारी के अनुसार, रामजन्म के समय अपनी उच्च राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान थे, यह बात वाल्मीकि रामायण में लिखी हुई है। स्वयं की राशि में चंद्रमा स्थित थे। इस साल भी ऐसी ही स्थिति बन रही है। अयोध्या समेत संपूर्ण भारत के विकास का रास्ता ये शुभ योग प्रशस्त करेंगे।

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