अमेरिका के लॉस एंजिल्स में प्रदर्शन तेज, ट्रंप ने नेशनल गार्ड क्यों बुलाया? जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम

अमेरिका के लॉस एंजिल्स में प्रदर्शन तेज, ट्रंप ने नेशनल गार्ड क्यों बुलाया? जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम

America Los Angeles:अमेरिका के लॉस एंजिल्स में अवैध प्रवासियों के खिलाफ इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) की छापेमारी के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन तीसरे दिन भी हिंसक रूप में बने हुए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 2000 कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड जवानों को तैनात करने का आदेश दिया है। जिससे स्थानीय और संघीय अधिकारियों के बीच तनाव बढ़ गया है। कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम और लॉस एंजिल्स की मेयर करेन बास ने इस कदम को "भड़काऊ" और "अनावश्यक" बताते हुए कड़ा विरोध  किया है।
 
कैसे शुरू हुआ विवाद?
प्रदर्शन की शुरुआत शुक्रवार 6 जून 2025 को हुई जब ICE ने लॉस एंजिल्स के फैशन डिस्ट्रिक्ट, डाउनटाउन, और पैरामाउंट जैसे क्षेत्रों में छापेमारी कर 44 लोगों को हिरासत में लिया। इन छापों को ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन नीति का हिस्सा माना जा रहा है। जिसके तहत अवैध प्रवासियों को देश से निकालने का अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्रवाई से गुस्साए प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। और ICE लॉस एंजिल्स से बाहर "No Human Being is Illegal"  जैसे नारे लगाए। शनिवार को स्थिति और बिगड़ गई। जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और ICE एजेंटों पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके जिसके जवाब में आंसू गैस और फ्लैश-बैंग ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया।
 
नेशनल गार्ड की तैनाती
शनिवार को ट्रंप ने नेशनल गार्ड को तैनात करने का आदेश दिया। जिसे व्हाइट हाउस ने कानून और व्यवस्था की बहाली के लिए जरूरी बताया। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा "अगर गवर्नर न्यूसम और मेयर बास अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकते हैं तो संघीय सरकार दंगों और लुटेरों को नियंत्रित करेगी।" रविवार सुबह 300 नेशनल गार्ड जवान मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर के बाहर तैनात किए गए। जहां प्रदर्शनकारियों के साथ उनकी झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल गार्ड पर भड़काऊ नारे लगाए, जिसके जवाब में आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया गया।
 
ट्रंप का मास्क बैन
ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों पर मास्क पहनने पर प्रतिबंध लगाने का भी आदेश दिया। जिसके बाह व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह कदम हिंसा को रोकने और कानून लागू करने वालों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। इससे स्थानीय समुदायों में डर और अविश्वास फैला है। नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेनियल उरमैन ने चेतावनी दी कि बिना गवर्नर की सहमति के नेशनल गार्ड की तैनाती संघीय और राज्य सरकारों के बीच शक्ति संतुलन को बिगाड़ सकती है।

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