
नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने देश के कई राज्यों में अलर्ट जारी किया है। जहां लोग इसे सीरियस नहीं ले रहे हैं। वहीं जापान में पिछले 3सालों से लोग आज भी कोरोना से उभर नहीं पाए हैं, इसी के साथ जापान के लोगों में इस बीमारी का खरता तेजी के साथ बढ़ रहा है। उस बीमारी का नाम है 'हिकिकोमोरी'। जिसके चलते 15लाख से भी ज्यादा जापानी लोग अपने घरों में कैद होने पर मजबूर हैं।
जहां लॉकडाउन के चलते पूरी दुनिया चारदीवारी में कैद हो गई थी। वहीं एक देश की सरकार के लिए अकेलेपन की समस्या काफी चिंता का कारण बनी हुई है। बता दें कि जापान में 15 लाख से अधिक कामकाजी लोग अपने घरों में कैद हैं। ये लोग ना तो घर से बाहर निकलते हैं, और ना ही लोगों से मिलना-जुलना पसंद करते हैं। 30,000 जापानी लोगों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार,15 से 62 साल कि उम्र वाले 2 प्रतिशत लोग इससे पीड़ित हैं।
हिकिकोमारी क्या है
हिकिकोमोरी शब्द का प्रयोग पहली बार 1990 के दशक में जापान में हुआ था। इस समय, युवाओं के एक समूह ने अपने घर से बाहर नहीं निकलने की आदत को समझान के लिए "हिकिकमारी" शब्द का प्रयोग किया था। उन्होंने इस समस्या को एक मानसिक समस्या के रूप में व्यक्त किया। पहला आधिकारिक मामला अकेलापन के साथ जुड़े हिकिकोमोरी के बारे में 1998 में रिपोर्ट किया गया था, जब एक जापानी न्यूज़पेपर ने एक 14 साल के लड़के के बारे में बताया जो अपने कमरे में एकांत में रहता था। तब से हिकिकोमोरी की समस्या जापान में बढ़ती चली गई।
जानिए हिकिकोमोरी के लक्षण
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