
Electicity: देश भर के लोगों को सस्ती बिजली की सौगात मिल सकती है। बिजली की दरों में कटौती करने की संभावना जताई जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रेडिंग एक्सचेज पर लगने वाले ट्रांजैक्शन फीस को कम करने का विचार कर रहा है।
CERC की इस पहल का मकसद बिजली की कीमतों को संभावित रूप से कम करना है। ये सुधार दक्षता बढ़ाने, नकदी की स्थिति को मजबूत करने में मददगार होगा। CERC ने बाजार समेकन को इस साल जुलाई में मंजूरी दे दी थी। अब इस चरणबद्ध तरीके से लागू करने का प्रस्ताव है। जिसकी शुरुआत जनवरी 2026 से की जाएगी।
कई पहलुओं पर हो रहा विचार
एक अधिकारी ने कहा कि सीईआरसी ने दिसंबर 2025 में बिजली एक्सचेजों द्वारा वसूले जाने वाले ट्रांजैक्शन फीस की समीक्षा पर एक विचार-पत्र को अंतिम रूप दिया है। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकार ने बताया कि केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ये जांचने में जुटा है कि मौजूदा ट्रांजैक्शन फीस का ढांचा, जिसकी लिमिट प्रति यूनिट दो पैसे है, क्या उस बाजार के लिए सही है, जहां कारोबार तेजी से बढ़ रही है और जो एकीकृत मूल्य खोज व्यवस्था की दिशा की ओर बढ़ रहा है।
इन विकल्पों पर भी विचार
CERC जिन विकल्पों पर विचार कर रहा है, उनमें ज्यादातर ट्रेडिंग सेगमेंट के लिए प्रति यूनिट 1.5 पैसे की फिक्स्ड ट्रांजैक्शन फीस शामिल है। अगर मौजूदा फ्रेमवर्क की बात करें तो पावर एक्सचेंज आमतौर पर तय लिमिट के करीब चार्ज करते हैं। CERC एक और प्रस्ताव जिस पर विचार कर रहा है, वो है टर्म-अहेड मार्केट कॉन्ट्रैक्ट के लिए प्रति यूनिट 1.25 पैसे की कम फीस, जो उनके लंबे समय और तुलनात्मक रूप से कम ऑपरेशनल इंटेंसिटी को दर्शाता है।
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