पाई-पाई को मोहताज हुई पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री, सुनी पड़ी है सभी कुर्सियां

पाई-पाई को मोहताज हुई पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री, सुनी पड़ी है सभी कुर्सियां

नई दिल्लीभारत-पाकिस्तान के रिश्ते राजनीतिक रूप से चाहे जैसे भी हो, लेकिन दोनों ही मुल्क एक दुसरे की फिल्मों और ड्रामों को बेहद ही पसंद करते है। पाकिस्तान के कलाकार भले अब बॉलीवुड फिल्मों में न दिखते हों,लेकिन भारत में उनकी फैन फॉलोइंग जबरदस्त है। चाहे हम बात करे माहिरा खान की या फबाद खान की इंडियन फैंस में पाकिस्तानी ड्रामा और कलाकारों दोनों को काफी फॉलो किया जाता है।

लेकिन इस समय पाकिस्तान में फिल्म इंडस्ट्री की बहुत ही बुरी हालत है।कराची में कुछ शेष सफल और बहुत सस्ती सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघर ही बचे हुए है। उनमें से एक ने हाल ही में नोटिस जारी कर जानकारी दि थी कि सिनेमाघर इस महीने बंद रहेगा। हालांकि उनके फेसबुक पेज पर नोटिस में संक्षिप्त बंद होने का कारण नहीं बताया गया था, इसका कारण स्पष्ट था: लोग बस फिल्में देखने के लिए नहीं आ रहे हैं।

अब पाकिस्तान के 'अंदरूने मुल्क' से आ रही रिपोर्ट्स में सामने आया है कि वहां सिनेमा एक तगड़े क्राइसिस में आ गया है। जनता थिएटर्स में फिल्में देखने नहीं जा रही। सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल ही नहीं, मल्टीप्लेक्स भी ऐसी कंगाली का सामना कर रहे हैं कि किराया और बिजली बिल जुटाना मुश्किल हो गया है। बात इतनी बिगड़ चुकी है कि जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहा तो शायद कुछ समय बाद वहां सिनेमा ही निपटा हुआ मिले।

डॉन की एक रिपोर्ट बताती है कि कराची में एक पॉपुलर थिएटर, कापरी सिनेमा ने फिल्में दिखाने का एक नया सिस्टम बना दिया है। सिस्टम ये है कि इस सिंगल स्क्रीन थिएटर में अब वीकेंड के वीकेंड ही फिल्में चलेंगी। इसके पीछे सीधी वजह ये है कि पाकिस्तानी जनता थिएटर्स की तरफ रुख ही नहीं कर रही। वीकेंड में थिएटर्स के अंदर लोग फिर भी नजर आते हैं, मगर हफ्ते के कामकाजी दिनों में तो सन्नाटा पसरा रहता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि कोविड-19 में बंद होने के बाद जब पाकिस्तान की सरकार ने दोबारा थिएटर खोलने की छूट दी तो थिएटर मालिक ही शटर नहीं उठाना चाहते थे। पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के शोज बंद होने के बाद से ही फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूटर, प्रोड्यूसर और थिएटर मालिकों के बीच एक शीत-युद्ध चल रहा था। कोविड-19 के कारण बार-बार सिनेमा हॉल्स बंद होने से मामला और बिगड़ गया। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि बिजनेस बिलकुल ही ठप्प हो चुका हो।

हॉलीवुड की 'डॉक्टर स्ट्रेंज एंड द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस' और 'टॉप गन: मेवेरिक' जैसी फिल्मों की टिकटें बिकी तो जरूर लेकिन इतनी नहीं कि इनकी कमाई को दमदार माना जा सके। रिपोर्ट में एक सिनेमा मालिक ने बताया कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो उसे अपना बिजनेस बंद करना पड़ेगा, क्योंकि खर्चे कमाई से कहीं ज्यादा भारी पड़ रहे हैं। सरकार इस ठंडे पड़ रहे सिनेमा बिजनेस को राहतों की आंच देती तो रहती है, मगर इसका बहुत असर होता नहीं दिखता है।

पाकिस्तान में महंगाई का जो हाल है वो आए दिन सुर्खियों में देखने को मिलता रहता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या जनता को सिनेमा से फर्क भी पड़ता है।हालात देखते हुए सिर्फ वीकेंड में थिएटर्स में फिल्में चलाने का आईडिया कोई बुरा तो नहीं है, मगर दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान में सिनेमा 'हाफ-डेड' तो हो ही चुका है।

पाकिस्तान के सिनेमाघर का बुरा हाल उस वक्त हुआ है। जब दो बड़ी फिल्में रिलीज को तैयार हैं। इनमें माहिरा खान की कायदे आजम जिंदाबार और हुमायू सईद की मैं लंदन नहीं जाउंगा है। दोनों फिल्मों का जोरदार प्रमोशन किया जा रहा है। यहां तक की फिल्म मैं लंदन नहीं जाउंगा का प्रमोशन पाकिस्तान के साथ लंदन में भी किया जा रहा है। लेकिन अब अपने ही देश में ऐसा हाल रहा तो फिल्मों की कमाई होना न के बराबर रह जाएगा।

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