
P. Harish UN speech: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन इस बार भी उसे करारा जवाब मिला। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने पाकिस्तान को सख्त शब्दों में लताड़ लगाते हुए कहा कि इस्लामाबाद को पहले अपने कब्जे वाले कश्मीर में जारी मानवाधिकार हनन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वहां की जनता पाकिस्तान के सैन्य कब्जे, दमन, क्रूरता और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खुलकर विद्रोह कर रही है।
राजदूत हरीश ने संयुक्त राष्ट्र में साफ कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग रहा है और हमेशा रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक ढांचे के तहत अपने मौलिक अधिकारों का स्वतंत्र रूप से उपयोग कर रहे हैं। हरीश ने तंज कसते हुए कहा कि शायद लोकतंत्र और संवैधानिकता जैसी अवधारणाएं पाकिस्तान के लिए अब भी "अजनबी" हैं।
वसुधैव कुटुम्बकम का दिया संदेश
पी. हरीश ने भारत की प्राचीन अवधारणा वसुधैव कुटुम्बकम का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत हमेशा से विश्व को एक परिवार के रूप में देखने की परंपरा में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि भारत न्याय, सम्मान और समृद्धि को सभी समाजों और लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यही दृष्टिकोण भारत की विदेश नीति और वैश्विक दृष्टिकोण की आधारशिला है।
संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर उठे सवाल
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस के दौरान भारतीय राजदूत ने संगठन की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र ने उपनिवेशवाद के अंत और वैश्विक शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आज यह संस्था अपनी प्रासंगिकता, वैधता, विश्वसनीयता और प्रभावकारिता को लेकर गंभीर सवालों का सामना कर रही है। हरीश ने कहा कि अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र खुद में सुधार कर, 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक प्रभावी और जवाबदेह बने।
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