
Indo-Pak Tension: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच कई देश ऐसे थे, जिन्होंने भारत को सपोर्ट किया। तो वहीं, कुछ देश ऐसे थे, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ थे। इन्हीं देशों में तुर्की भी शामिल है। लेकिन तुर्की के पाकिस्तान समर्थन ने भारत में आर्थिक जवाबी कार्रवाई को जन्म दिया है। तुर्की द्वारा पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाजी और सैन्य सहायता, विशेष रूप से ड्रोन आपूर्ति, ने भारतीय व्यापारियों को तुर्की के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़ने के लिए प्रेरित किया है। इसका सबसे प्रमुख प्रभाव उदयपुर के मार्बल व्यापारियों और पुणे के सेब व्यापारियों के बीच देखा जा रहा है, जहां तुर्की के उत्पादों और आयात पर पूर्ण बहिष्कार की घोषणा की गई है।
उदयपुर में मार्बल व्यापारियों का फैसला
राजस्थान का उदयपुर एशिया का सबसे बड़ा मार्बल निर्यात केंद्र माना जाता है। ऐसे में तुर्की से मार्बल आयात पर रोक लगाने का ऐलान किया है। उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति के अध्यक्ष कपिल सुराना ने कहा 'हम तुर्की के साथ व्यापार तब तक बंद रखेंगे, जब तक वह अपनी नीतियों पर दोबारा विचार नहीं कर लेता।' बता दें, भारत प्रतिवर्ष 14-18 लाख टन मार्बल आयात करता है, जिसमें से 70% तुर्की से आता है, इसका मूल्य 2500-3000 करोड़ रुपये है। उदयपुर में 125 प्रोसेसिंग इकाइयों में से 40-50 तुर्की से मार्बल आयात करती हैं।
समिति ने केंद्र सरकार से तुर्की और अन्य पाकिस्तान समर्थक देशों के साथ व्यापार पर कड़े कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा 'राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। हम सरकार के हर फैसले के साथ हैं।' मालूम हो कि यह कदम तुर्की के लिए बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि भारत उसका एक प्रमुख मार्बल बाजार है।
पुणे में सेब व्यापारियों का बॉयकॉट
इसके अलावा पुणे के कृषि उपज मंडी समिति (APMC) बाजार में सेब व्यापारियों ने तुर्की से आने वाले सेबों को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है। तुर्की के सेब, जो मौसमी व्यापार में 1000-1500 करोड़ रुपये का योगदान देते हैं, अब पुणे के बाजारों से गायब हो चुके हैं। तुर्की की जगह अब सेबों का आयात हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान जैसे क्षेत्रों से किया जाएगा।
यह बॉयकॉट केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और देशभक्ति के रुप में भी देखा जा सकता है। इस बॉयकॉट पर व्यापारियों और ग्राहकों का कहना है कि यह कदम भारतीय सेना के प्रति एकजुटता का प्रतीक है। पुणे के बाजारों में अब स्थानीय और अन्य देशों के सेबों की मांग बढ़ रही है, जिससे तुर्की के सेब व्यापार को तगड़ा नुकसान हो रहा है।
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