Leh Student Protest: लद्दाख के शांत कहे जाने वाले लेह जिले में 24 सितंबर को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसा में तब्दील हो गया। प्रदर्शनकारी युवाओं ने बीजेपी दफ्तर और हिल काउंसिल पर पथराव किया, वाहनों को आग लगा दी और पुलिस के साथ भिड़ गए। इस घटना में 4 लोगों की जान चली गई और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हालात को काबू में करने के लिए लद्दाख और करगिल में बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी गई है। यह विरोध उस आंदोलन का हिस्सा था, जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे।
गृह मंत्रालय का आरोप – 'अरब स्प्रिंग' का हवाला देकर भड़काई भीड़
गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिए सीधे तौर पर सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक ने “अरब स्प्रिंग” और नेपाल के Gen Z आंदोलनों का हवाला देकर युवाओं को भड़काया। जबकि केंद्र पहले ही वांगचुक की मांगों पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति के जरिए चर्चा कर रहा था। सरकार ने अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% किया, महिलाओं को परिषदों में 1/3 आरक्षण दिया और स्थानीय भाषाओं को आधिकारिक दर्जा भी प्रदान किया है। मंत्रालय ने वांगचुक पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने हिंसा के दौरान भूख हड़ताल तोड़कर गांव तो लौटे, लेकिन स्थिति शांत करने का कोई प्रयास नहीं किया।
क्यों भड़का लद्दाख?
इस विरोध की नींव 10 सितंबर से शुरू हुई भूख हड़ताल से रखी गई थी, जिसमें वांगचुक की चार प्रमुख मांगें थीं—पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा, लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा क्षेत्र, और सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता। हालांकि, 23 सितंबर को दो प्रदर्शनकारी बेहोश हो गए, जिससे आंदोलन और उग्र हो गया। अगले दिन लेह में बंद का ऐलान हुआ और फिर हिंसा भड़क उठी। हिंसा के बाद वांगचुक ने इसे "Gen-Z युवाओं की प्रतिक्रिया" बताया और शांति की अपील की, लेकिन कई लोग उनकी चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
बीजेपी ने इस हिंसा को कांग्रेस की साजिश बताया है। पार्टी ने कांग्रेस पार्षद की तस्वीरें शेयर कर आरोप लगाया कि हिंसा में उनकी भूमिका थी। साथ ही सवाल उठाया कि क्या राहुल गांधी का "Gen-Z" वाला बयान इसी हिंसा के संकेत थे? लद्दाख की 3 लाख की आबादी में 70 हजार से ज्यादा Gen-Z युवा हैं, और इस बार वे आंदोलन के केंद्र में दिखाई दिए। केंद्र सरकार की अगली बैठक 6 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन उससे पहले हिंसा ने माहौल को और जटिल बना दिया है।
Leave a comment