
AQI and Lung Disease Are Separate: संसद के शीतकालीन सत्र में वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर चर्चा के दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक चौंकाने वाला बयान दिया। राज्यसभा में लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) स्तर और फेफड़ों की बीमारियों के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित करने वाला निर्णायक डेटा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और इससे जुड़ी समस्याओं को ट्रिगर करने वाले कारकों में से एक है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें, यह जवाब भाजपा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी के सवाल के जवाब में दिया गया, जिन्होंने दिल्ली-NCR में लंबे समय से खराब AQI स्तरों को फेफड़ों की गंभीर बीमारियों जैसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस, सीओपीडी, एम्फीसेमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी और लोच में गिरावट से जोड़ते हुए पूछा था। सांसद ने यह भी जानना चाहा कि क्या दिल्ली-NCR के निवासियों की फेफड़ों की लोच अच्छे AQI वाले शहरों के लोगों की तुलना में आधी रह गई है और सरकार के पास इन जानलेवा बीमारियों से बचाव का कोई समाधान है या नहीं।
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने स्पष्ट किया कि ऐसे कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं जो उच्च AQI को सीधे इन बीमारियों से जोड़ सकें। उन्होंने वायु प्रदूषण को केवल एक ट्रिगर फैक्टर बताया, जो अन्य कारकों जैसे जीवनशैली, आनुवंशिकता और पर्यावरणीय स्थितियों के साथ मिलकर प्रभाव डालता है।
सरकार के प्रयास और योजनाएं
इस सवाल के जवाब में मंत्री ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए चल रही योजनाओं का जिक्र किया। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत प्रदूषण कम करने के प्रयास जारी हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) के अंतर्गत मेडिकल ऑफिसर्स, नर्सों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए एयर पॉल्यूशन पर विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। महिलाओं, बच्चों और ट्रैफिक पुलिस जैसे संवेदनशील समूहों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
इस बयान ने व्यापक विवाद खड़ा कर दिया है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों का मानना है कि दशकों के वैश्विक शोध और क्लिनिकल अनुभव वायु प्रदूषण, विशेषकर PM2.5 कणों, को फेफड़ों की बीमारियों से सीधे जोड़ते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में प्रदूषण को श्वसन रोगों, अस्थमा और लंबे समय में फेफड़ों के नुकसान का प्रमुख कारण माना गया है। भारतीय डॉक्टरों के अनुसार, दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में ओपीडी में सांस की बीमारियों के मामले स्पष्ट रूप से बढ़ते हैं जब AQI खराब होता है।
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