
Bihar Elections 2025: हाल के बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने पुरुष मतदाताओं को पीछे छोड़ते हुए ऐतिहासिक मतदान किया। पहले चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.04% रहा, जबकि पुरुषों का 61.56% था। दूसरे और अंतिम चरण में महिला मतदान और बढ़कर 74.03% हो गया, वहीं पुरुषों का प्रतिशत 64.1% रहा। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर महिलाओं का औसत मतदान 71.6% रहा। यह आंकड़ा सिर्फ चुनावी आंकड़ा नहीं, बल्कि बिहार में महिला सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव का मजबूत संकेत है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रमुख योजना 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है। इस योजना के तहत एक करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपये की आर्थिक मदद दी गई, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाकर दो लाख रुपये तक किया जा सकता है। इस आर्थिक स्वतंत्रता ने महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाया और उनके राजनीतिक सक्रियता में इजाफा किया। इसके अलावा, 'जीविका दीदी' के रूप में जुड़ी महिलाएं ग्रामीण बिहार में जागरूकता फैलाने और दूसरों को मतदान में भाग लेने के लिए प्रेरित करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
राजनीति में महिलाओं की नई पहचान
नीतीश सरकार ने महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने में अहम कदम उठाए हैं। स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण और स्कूली छात्राओं के लिए साइकिल योजना जैसी पहल महिलाओं को सीधे तौर पर सशक्त कर रही हैं। इससे महिलाओं में सरकार के प्रति विश्वास और सक्रियता बढ़ी है। पुरुषों का बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों में रोजगार हेतु जाना भी ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की संख्या बढ़ा देता है, जिससे उनका मतदान प्रतिशत स्वाभाविक रूप से अधिक दिखाई देता है।
सामाजिक बदलाव और लोकतंत्र में महिला शक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कट्टा सरकार नहीं चाहिए' जैसे बयान महिलाओं की सुरक्षा और स्थिरता की चाहत को दर्शाते हैं। 1990 के दशक के 'जंगलराज' की तुलना में अब बिहार की महिलाएं न केवल सुरक्षित महसूस कर रही हैं, बल्कि लोकतंत्र में सक्रिय भागीदार बन रही हैं। सरकारी योजनाएं, सामाजिक सशक्तिकरण और जमीनी पहल जैसे 'जीविका दीदी' ने महिलाओं को बिहार की राजनीति की नई दिशा तय करने का अवसर दिया है। यह बदलाव दर्शाता है कि अब बिहार में लोकतंत्र सिर्फ पुरुषों का नहीं, बल्कि महिलाओं की भी आवाज का है।
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