
Bihar News:बिहार की राजनीति में हाल ही में एक दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया है, जहां राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश ने बिना चुनाव लड़े ही नीतीश कुमार की नई सरकार में मंत्री पद हासिल कर लिया। हैरानी की बात यह है कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में वे सासाराम सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट थे, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी।
दीपक प्रकाश का राजनीतिक सफर
बता दें, दीपक प्रकाश मूल रूप से वैशाली जिले के महनार के रहने वाले हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और राजनीति में उनका सफर अपेक्षाकृत नया है। उनके पिता उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद हैं और आरएलएम के संस्थापक हैं, जबकि मां स्नेहलता कुशवाहा ने 2025 के चुनाव में सासाराम विधानसभा सीट से आरएलएम के टिकट पर जीत दर्ज की है। दीपक ने 2019-20 से राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की और मुख्य रूप से अपने पिता के साथ काम करते हुए। हालांकि, उस दौरान उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा और न ही विधायक या विधान परिषद सदस्य हैं। फिर भी, एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे के तहत उन्हें मंत्री बनाया गया, जिसके तहत उन्हें छह महीने के अंदर विधान परिषद सदस्य बनना होगा
मालूम हो कि 20 नवंबर 2025 को नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिसमें कुल 26 मंत्रियों को शामिल किया गया। दीपक प्रकाश को आरएलएम कोटे से पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया। 22 नवंबर को उन्होंने मंत्रालय पहुंचकर अपना पदभार संभाला।
सासाराम चुनाव में काउंटिंग एजेंट की भूमिका
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सासाराम सीट पर कुल कई उम्मीदवार मैदान में थे। दीपक प्रकाश ने यहां एक निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट के रूप में काम किया। चुनाव आयोग के दस्तावेजों के अनुसार, उन्हें रामायण पासवान के अभिकर्ता के तौर पर पहचान पत्र जारी किया गया था। मतगणना के दौरान वे वोटों की निगरानी में शामिल रहे।
रामायण पासवान को चुनाव में मात्र 327 वोट मिले, जो कुल वैध मतों का बहुत कम हिस्सा था। भारतीय चुनाव नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों के 1/6 से कम वोट पाता है, तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है। सासाराम में कुल मतदान लगभग 2 लाख से ज्यादा रहा, जिसमें आरएलएम की स्नेहलता कुशवाहा ने 1,05,006 वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि राजद के सत्येंद्र साह दूसरे स्थान पर रहे। रामायण पासवान जैसे कई छोटे उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई।
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