
बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए मतगणना जारी है और एनडीए की भारी बढ़त के बीच बाहुबली परिवारों वाली सीटें सुर्खियां बटोर रही हैं। जानकारी के अनुसार, लगभग 15-20 सीटें ऐसी हैं जहां बाहुबली नेता खुद या उनके बेटे-बेटी-पत्नी मैदान में हैं। शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब, आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद और सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी जैसी हस्तियां चर्चा में हैं।
शुरुआती रुझानों में एनडीए 200 सीटों से आगे है, लेकिन बाहुबली सीटों पर मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है। कई जगह पुरानी विरासत काम आई, तो कहीं एनडीए के सुशासन के नैरेटिव ने असर दिखाया। आइए बाहुबली परिवारों वाली सीटों का ताजा हाल और जीत के आसार पर नजर डालते है।
बाहुबली परिवारों वाली सीटों का ताजा हाल
1. मोकामा (पटना): अनंत सिंह (जदयू) VS वीणा देवी (राजद, सूरजभान सिंह की पत्नी)
चुनाव आयोग के रूझानों में अनंत सिंह मजबूत बढ़त पर, 14,000+ वोटों से आगे हैं। भूमिहार बहुल क्षेत्र में उनकी लोकल रॉबिनहुड इमेज और सहानुभूति वोट काम आए, जिससे उनकी जीत लगभग तय है।
2. रघुनाथपुर (सिवान): ओसामा शहाब (राजद, मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे) VS विकास कुमार सिंह (जदयू)
ओसामा शहाब 12,000-16,000 वोटों से आगे है। पिता की विरासत और मुस्लिम-यादव वोटों का ध्रुवीकरण उनके पक्ष में। जीत की संभावना बनी हुई है।
3. नवीनगर (औरंगाबाद): चेतन आनंद (जदयू, आनंद मोहन के बेटे)
चेतन आनंद अच्छी बढ़त बनाए हुए। राजपूत वोट बैंक और मां लवली आनंद की साख से फायदा शायद काम आ रहा है।
4. वारिसलीगंज (नवादा): अनीता देवी (राजद, अशोक महतो की पत्नी) VS अरुणा देवी (बीजेपी, अखिलेश सिंह की पत्नी)
इस बार दो बाहुबली पत्नियों की सीधी टक्कर देखी गई है। लेकिन ताजा रुझान में अनीता देवी थोड़ी आगे बनी हुई है।
5. नवादा: विभा देवी (जदयू, राजबल्लभ यादव की पत्नी) VS कौशल यादव (राजद)
विभा देवी आगे चल रही हैं। एनडीए की लहर से फायदा मिलता दिखाई दे रहा है।
6. दानापुर (पटना): रीतलाल यादव (राजद) VS राम कृपाल यादव (भाजपा)
दानापुर सीट में मुकाबला कड़ा है। लेकिन शुरुआती बढ़त के बाद रीतलाल यादव पीछे बने हुए हैं।
7. लालगंज (वैशाली): शिवानी शुक्ला (राजद, मुन्ना शुक्ला की बेटी) VS संजय कुमार सिंह (भाजपा)
तीसरी पीढ़ी की एंट्री, लेकिन चुनौतीपूर्ण। रुझान में पीछे, जीत मुश्किल।
जदयू-बीजेपी ने कई बाहुबलियों को अपने पाले में लिया, जिससे विकास vs जंगलराज का नैरेटिव मजबूत हुआ। अनंत सिंह, चेतन आनंद जैसे उम्मीदवारों को फायदा मिल सकता है। इसके अलावा ओसामा शहाब जैसे उम्मीदवारों ने पिता की साख से वोट खींचे, लेकिन महागठबंधन की कमजोर लहर से कई जगह नुकसान। राजपूत, यादव वोटों का ध्रुवीकरण प्रमुख। कई सीटों पर सहानुभूति (जेल में बंद नेता) ने भूमिका निभाई।
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