
Apache helicopters at Hindon Airbase:भारतीय सेना की ताकत में एक बड़ा इजाफा हुआ है, क्योंकि अमेरिका से अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों की अंतिम तीन इकाइयों की डिलीवरी हो गई है। ये 'फ्लाइंग टैंक' के नाम से मशहूर हेलीकॉप्टर 16दिसंबर को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचे, जहां से उन्हें जोधपुर में सेना की स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा। हेलीकॉप्टर की खेप के साथ भारतीय सेना की अपाचे फ्लीट पूरी हो गई है, जो दुश्मन की टैंकों, बंकरों और हवाई रक्षा प्रणालियों को नेस्तनाबूद करने में सक्षम है।
अपाचे हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी
बता दें, भारतीय सेना ने बोइंग से कुल छह AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया था, जिनकी पहली तीन इकाइयां जुलाई 2025में भारत पहुंचीं। सप्लाई चेन में देरी के कारण डिलीवरी का समय दिसंबर 2024से शिफ्ट होकर 2025तक पहुंचा। अंतिम तीन हेलीकॉप्टर एंटोनोव An-124विमान से हिंडन एयरबेस लाए गए, जहां अब उनकी असेंबली, जॉइंट इंस्पेक्शन और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
सेना के सूत्रों की मानें तो रोटर्स की इंस्टॉलेशन हिंडन पर ही होगी, और उसके बाद ये जोधपुर में 451आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन में शामिल हो जाएंगे। ये हेलीकॉप्टर भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी का एक अहम हिस्सा हैं, जो राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त बयान के तहत पूरा हुआ है। अमेरिकी रक्षा सचिव और भारतीय रक्षा मंत्री के बीच हुए समझौतों से यह डिलीवरी संभव हुई, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक होगी।
'फ्लाइंग टैंक' की खासियतें
अपाचे AH-64E को 'फ्लाइंग टैंक' कहा जाता है, क्योंकि यह दुश्मन को थर्रा देने वाली क्षमताओं से लैस है। इसमें हेलफायर मिसाइलें, 70एमएम रॉकेट्स और 30एमएम चेन गन शामिल हैं, जो दिन-रात, कोहरे या खराब मौसम में भी काम कर सकते हैं। उन्नत सेंसर और रडार से यह दुश्मन के टैंकों, बंकरों और एयर डिफेंस सिस्टम को सटीक निशाना बना सकता है। रेगिस्तान, मैदानों या ऊंचाई वाले इलाकों में इसके मजबूत इंजन और रोटर ब्लेड्स बेहतर प्रदर्शन देते हैं।
इसके अलावा यह ग्राउंड ट्रूप्स, ड्रोन्स और अन्य विमानों से रीयल-टाइम डेटा शेयरिंग कर सकता है, जो युद्ध में तेज निर्णय लेने में मदद करता है। मालूम हो कि भारतीय वायुसेना पहले से ही अपाचे हेलीकॉप्टरों का संचालन कर रही है, लेकिन सेना के लिए अलग स्क्वाड्रन बनाने से ग्राउंड फोर्सेस के साथ बेहतर कोऑर्डिनेशन संभव होगा। यह हेलीकॉप्टर संवेदनशील सीमाओं पर आक्रामक और रक्षात्मक भूमिका निभाएंगे, जहां तेज प्रतिक्रिया और क्लोज एयर सपोर्ट की जरूरत होती है।
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