Bangladesh Crisis: 1972 शहीद स्मारक को प्रदर्शनकारियों ने की तोड़फोड़, कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने जताई चिंता

Bangladesh Crisis: 1972 शहीद स्मारक को प्रदर्शनकारियों ने की तोड़फोड़, कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने जताई चिंता

Bangladesh Crisis Update: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद भी अस्थिरता बनी हुई है। हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। इस बीच प्रदर्शकारियों ने अब राष्ट्रीय स्मारकों को भी निशाना बनाना शुरु कर दिया है। प्रदर्शकारियों के द्वारा 1971 वार मेमोरियल स्थल पर लगी मूर्तियों को तोड़ दिया गया है। इससे जुड़ी कई तस्वीरें भी सामने आई है। जिसपर कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने चिंता जताई है। उन्होंने अंतरिम सरकार से कानून और व्यवस्था बनाने की गुहार लगाई है।  गौरतलब है कि पिछले ही दिनों प्रदर्शनकारियों के द्वारा शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़ दिया गया था। इसके अलावा शेख मुजीबुर रहमान से जुड़े अन्य स्थानों में तोड़फोड़ किया गया था।

शशि थरुर ने जताई चिंता

1971 शहीद स्मारक में हुई तोड़फोड़ की तस्वीर सामने आने के बाद कांग्रेस नेता शशि थरुर नेकहा कि "साल 1971 में मुजीबनगर में शहीद स्मारक परिसर में स्थित मूर्तियों को भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट किए जाने की ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है। यह घटना कई जगहों पर भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और हिंदू घरों पर हुए अपमानजनक हमलों के बाद हुई है, जबकि ऐसी खबरें भी आई हैं कि मुस्लिम नागरिक अन्य अल्पसंख्यक घरों और पूजा स्थलों की रक्षा कर रहे हैं।'इसके साथ ही उन्होंने कहा किकुछ आंदोलनकारियों का एजेंडा बिल्कुल साफ है। यह जरूरी है कि मोहम्मद यूनुस और उनकी अंतरिम सरकार सभी बांग्लादेशियों और हर धर्म के लोगों के हित में कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाए। भारत इस उथल-पुथल भरे वक्त में बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है, लेकिन इस तरह की अराजकता को कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।

आजादी का प्रतीक हैं ये मूर्तियां

साल 1971 की युद्ध में जीत के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। इस दौरान पाकिस्तान के लाखों सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। हालांकि, इस से संबंधित तस्वीरें भी काफी प्रचलित है। जिसमें पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी को हार स्वीकार करते हुए और बांग्लादेशी सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा की मौजूदगी में ढाका में 'आत्मसमर्पण का साइन' करते हुए दिखाया गया है। इस घटना को दुनिया का सबसे बड़ा सरेंडर कहा जाता है। इसी तस्वीर को दर्शाते हुए एक वार मेमोरिल बनवाया गया था। प्रदर्शकारियों ने उन सभी मूर्तियों को धवस्त कर दिया है।

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