Smartphone Vision Syndrome: बिना स्मार्टफोन के हम अपनी लाइफ सोच भी नहीं सकते। क्योंकि आज के इस डिजिटल युग में हमारा हर काम स्मार्टफोन से ही जुड़ा हुआ है। स्कूल-कॉलेज हो या ऑफिस या मनोरंजन, स्मार्टफोन के बिना हम अपनी लाइफ इमेजिन भी नहीं कर सकते। आज की युवा जनरेशन बिना स्मार्टफोन के एक मिनट भी नहीं रह सकती। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा कि दिनभर फोन से चिपके रहने से आपकी बॉडी पर इसका क्या असर पड़ेगा।
बता दें, दिनभर फोन से चिपके रहने से आपको सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना रड़ सकता है। ये आपके आंखों की रोशनी छीन सकती है। इसकी वजह से आपको स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (Smartphone Vision Syndrome) की भी समस्या हो सकती है। लेकिन क्या जानते है कि स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम क्या है? अगर नहीं, तो आइए जानते है ये सिंड्रोम क्या है? इससे बचने के क्या कारण हैं?
स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम क्या है?
बता दें, लंबे समय तक मोबाइल फोन या कंप्यूटर का यूज करने से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती है। इन्हीं समस्याओं में से एक आंखों की भी समस्या है। इसी समस्या के साथ स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम की शुरुआत होती है। स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम को डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) भी कहा जाता है। फोन और कंप्यूटर का ज्यादा यूज करने के कारण आंखों पर पड़ने वाले तनाव के लक्षणों एक ही समान ही है।
आंखों पर ज्यादा तनाव पड़ने से आंखों में थकान, ड्राईनेस और अन्य समस्याएं होने लगती हैं। स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम कुछ विशेष मामलों को छोड़कर अंधेपन का कारण नहीं बन सकता है। लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। क्योंकि ये समस्या न केवल बड़े-बुजुर्गों, बल्कि छोटे बच्चों में भी देखी जा सकती है।
क्या हैं स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम के लक्षण?
स्क्रीन ब्राइटनेस
फोन की स्क्रीन ब्राइटनेस ज्यादा होने से इसका असर आपकी आंखों पर पड़ सकता है।
टेक्स्ट साइज को बढ़ाएं
कई बार लोग अपने फोन का टेक्स्ट छोटा कर लेते है। जिस वजह से आंखों पर तनाव पड़ता है।
आंखों में थकान होना
लंबे समय तक स्मार्टफोन का यूज करने से आपकी आंखों पर दबाव पड़ता है। जिस वजह से आंखें थकी हुई लगती है। इसके अलावा सिरदर्द, आंखों में जलन या खुजली होना भी स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम के लक्षण हैं।
कैसे रखें आंखों का ख्याल?
1. फोन की स्क्रीन ब्राइटनेस को कम रखें।
2. स्मार्टफोन में बड़े टेक्स्ट का इस्तेमाल करें।
3. नाइट मोड का इस्तेमाल करें।
4. नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं।
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