
Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसा और विरोध प्रदर्शनके बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया,और सरकार गिरने केबाद हसीना भारत आ गईं।वहीं अब बांग्लादेश आजादी के बाद सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है। तख्तापलट के बाद कट्टरपंथियों के प्रभुत्व के कारण अस्थिर अराजक माहौल वहां के हिंदू समुदाय के लिए बड़ी चिंता का विषय बन सकता है। इन सबके बीच अल्पसंख्यक समुदाय खुद को मुसीबत में महसूस कर रहा है। प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। उन्हें डर है कि जब कट्टरपंथी इस्लामिक समूह सत्ता में आएंगे तो हालात और खराब हो सकते हैं।
बता दें कि, बांग्लादेश में भेदभाव और उत्पीड़न झेलने वाली हिंदू आबादी लगातार कम हो रही है। आज बांग्लादेश की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1951 की तुलना में 14 प्रतिशत कम हो गई है। बांग्लादेश में हर साल 2.3 लाख हिंदू देश छोड़ने को मजबूर होते हैं।
भेदभाव, ज़मीन कब्ज़ा और हिंसा के शिकार
बांग्लादेश में, निहित संपत्ति अधिनियम (पहले पाकिस्तानी शासन के दौरान शत्रु संपत्ति अधिनियम के रूप में जाना जाता था) के कारण 1965 और 2006 के बीच हिंदुओं की लगभग 26 लाख एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। इससे 12 लाख हिंदू परिवार प्रभावित हुए।
हिंदुओं को बनाया जा रहा है निशाना
बांग्लादेश के प्रमुख अधिकार संगठन ने बताया कि जनवरी और जून 2016 के बीच बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर की गई हिंसा में 66 घर जला दिए गए, 24 लोग घायल हो गए और कम से कम 49 मंदिर नष्ट हो गए।
90के दशक में बहुत बढ़ गई थी हिंसा
1980 और 1990 के बीच हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी आंदोलन और अधिक बढ़ गया। 1990 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद, चटगांव और ढाका में कई हिंदू मंदिरों में आग लगा दी गई।
तेजी से दिखी जनसंख्या में गिरावट
बांग्लादेश की आजादी संग्राम के दौरान हिंदुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया क्योंकि कई पाकिस्तानी उन्हें अलगाव का दोषी मानते थे। इससे हिंदू आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई। 1951 की आधिकारिक जनगणना के अनुसार, बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) की कुल आबादी में हिंदू 22 प्रतिशत थे। 1991 तक यह संख्या घटकर 15 प्रतिशत रह गई।
बांग्लादेश में 8 फीसदी से भी कम हिंदू
2011 की जनगणना में यह संख्या घटकर मात्र 8.5 फीसदी रह गई। 2022 में यह घटकर आठ फीसदी से भी कम रह गया है। वहीं, मुसलमानों की आबादी 1951 में 76 फीसदी से बढ़कर 2022 में 91 फीसदी से ज्यादा हो गई है।
हर साल देश छोड़ने को किया जाता है मजबूर
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1964 से 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण 11 मिलियन से अधिक हिंदू बांग्लादेश से भाग गए। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में हर साल 2.3 लाख हिंदू देश छोड़कर भाग जाते हैं। 2011 की जनगणना से पता चला कि 2000 से 2010 के बीच देश की आबादी से 10 लाख हिंदू गायब हो गए।
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