Japan Lunar Mission: जापान के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। निजी अंतरिक्ष कंपनी iSpace द्वारा विकसित चंद्रयान 'रेजिलिएंस' चंद्रमा के Mare Frigoris क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के दौरान 6 जून 2025 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस असफलता ने जापान के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की चुनौतियों को फिर से उजागर किया है।
लैंडिंग के दौरान क्या हुआ?
'रेजिलिएंस' ने 15 जून 2024 को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से अपनी यात्रा शुरू की थी। 6 मई 2025 को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा और 28 मई को 100 किलोमीटर ऊंचाई वाली निम्न चंद्र कक्षा में स्थापित हुआ। लैंडिंग से पहले यान ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें भेजी थीं। जो इसकी तकनीकी क्षमता का प्रमाण थीं। लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान यान ने सतह से 5 किलोमीटर ऊपर पिच-अप मैन्यूवर सफलतापूर्वक पूरा किया। और सतह के और करीब पहुंचते ही अचानक टेलीमेट्री डेटा और संचार संपर्क टूट गया।
क्रैश का कारण
प्रारंभिक जांच के अनुसार ऊंचाई मापने वाले उपकरण (एल्टीमीटर) में खराबी के कारण यान की गति को नियंत्रित करने में देरी हो गई, जिसके परिणामस्वरूप यह हार्ड लैंडिंग (टक्कर) के साथ चंद्र सतह पर क्रैश हो गया। हैम रेडियो ऑपरेटरों ने भी लैंडिंग के समय सिग्नल टूटने की पुष्टि की। iSpace के सीईओ तकाशी हाकामादा ने कहा कि कंपनी मिशन की विफलता के सटीक कारणों का विश्लेषण कर रही है, लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
मिशन का महत्व
'रेजिलिएंस' जापान का पहला निजी चंद्रयान था। जिसका लक्ष्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचना था। यान में एक छोटा रोवर, वैज्ञानिक उपकरण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के पेलोड शामिल थे। जो चंद्र संसाधनों की खोज और सिसलुनर अर्थव्यवस्था की नींव रखने के लिए डिज़ाइन किए गए थे। यह मिशन iSpace का दूसरा प्रयास था। क्योंकि 2023 में उनका पहला मिशन भी लैंडिंग के दौरान असफल रहा था।
iSpace ने कहा कि वे इस असफलता से सबक लेकर भविष्य के मिशनों को बेहतर बनाने पर काम करेंगे।
कंपनी का लक्ष्य चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति की दिशा में योगदान देना है। जानकारों का मानना है कि निजी अंतरिक्ष मिशनों की जटिलताएं और जोखिम इस घटना से स्पष्ट हैं, लेकिन ये असफलताएं अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रगति का एक हिस्सा हैं। 'रेजिलिएंस' की असफलता जापान के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए निराशाजनक है, लेकिन यह निजी क्षेत्र की महत्वाकांक्षा और तकनीकी प्रगति को दर्शाता है। वैज्ञानिक समुदाय और अंतरिक्ष उत्साही अब iSpace के अगले कदमों पर नजर रखे हुए हैं।
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