इस्लामी एकता या कुछ और! पाकिस्तान का साथ देकर भारत से क्यों भिड़ रहा तुर्की?

इस्लामी एकता या कुछ और! पाकिस्तान का साथ देकर भारत से क्यों भिड़ रहा तुर्की?

Pakistan-Turkey Relation: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान को खुलकर समर्थन किया है। पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए तुर्की के 350 से ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कथित तौर पर भारत की सैन्य कार्रवाई की निंदा की और कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाते हुए पाकिस्तान के प्रति एकजुटता दिखाई। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि तुर्की भारत से पंगा क्यों ले रहा है? क्या यह केवल इस्लामी एकता का मामला है या इसके पीछे अन्य राजनीतिक कारण है?

तुर्की-पाकिस्तान के बीच के रिश्ते

बता दें, तुर्की और पाकिस्तान के बीच रिश्ते गहरे का कारण सिर्फ इस्लामी पहचान नहीं है। बल्कि दोनों देशों के बीच के संबंध साल 1947में पाकिस्तान के गठन से भी पहले के हैं। ब्रिटिश राज के दौरान, दक्षिण एशिया के मुसलमानों ने तुर्की के खलीफा को इस्लामिक दुनिया का नेता माना। जिसके बाद पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क की खूब तारीफ की थी। 

तुर्की ने 1971के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान को राजनयिक समर्थन दिया। जबकि पाकिस्तान ने साइप्रस मुद्दे पर तुर्की का साथ दिया। इतना ही नहीं, हाल ही के सालों में तुर्की ने पाकिस्तानी संस्कृति में अपनी छाप छोड़ी है। ये सांस्कृतिक कदम तुर्की को पाकिस्तान में एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में स्थापित करते हैं।

तुर्की-पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग

पिछले एक दशक में तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग में भी तेजी आई। तुर्की पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन चुका है। दोनों देशों के बीच कई बड़े रक्षा सौदे भी हुए हैं। इस सौदे के तहत साल 2018में पाकिस्तान ने तुर्की से 1.5बिलियन डॉलर में चार मिलगेम-क्लास युद्धपोत खरीदे। इसके अलावा तुर्की ने पाकिस्तान को सोंगर ड्रोन जैसे उन्नत हथियार प्रदान किए।

बता दें, यह सैन्य सहयोग तुर्की के लिए भारत के साथ टकराव का एक प्रमुख कारण है। क्योंकि यह सीधे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करता है। इसी बीच, भारत में तुर्की के खिलाफ बहिष्कार की शुरुआत सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey जैसे हैशटैग से हुई।

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