Australia में भारतीय प्रवासियों के खिलाफ सड़को पर उतरे लाखों लोग, सरकार ने की कड़ी निंदा

Australia में भारतीय प्रवासियों के खिलाफ सड़को पर उतरे लाखों लोग, सरकार ने की कड़ी निंदा

March For Australia: 31 अगस्त 2025 को ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में ‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया’ के बैनर तले आव्रजन विरोधी रैलियां आयोजित हुईं, जिनमें भारतीय प्रवासियों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। इन रैलियों के प्रचार सामग्री में दावा किया गया कि “पांच साल में जितने भारतीय आए, उतने 100 साल में ग्रीक और इटालियन नहीं आए,” इसे “सांस्कृतिक बदलाव” और “बाहरी शोषण” करार देते हुए।

ऑस्ट्रेलिया की जनगणना के अनुसार, 2013 से 2023 तक भारतीय मूल के निवासियों की संख्या दोगुनी होकर 8.5 लाख तक पहुंच गई है, जो अब कुल जनसंख्या का 3% है। आयोजकों ने इन रैलियों को “मास इमिग्रेशन” के खिलाफ एकजुटता का आह्वान बताया, लेकिन सामग्री में नस्लवादी और “रेमिग्रेशन” जैसे श्वेत राष्ट्रवादी विचारों का उल्लेख सामने आया, जिसकी जांच में नियो-नाजी समूहों से संबंध उजागर हुए।

सिडनी-मेलबर्न में तनावपूर्ण प्रदर्शन

सिडनी में 5,000 से 8,000 प्रदर्शनकारी ऑस्ट्रेलियाई झंडों और नारों जैसे “हमारा देश वापस लो” के साथ जुटे, जबकि मेलबर्न में फ्लिंडर्स स्ट्रीट स्टेशन के बाहर हजारों लोग इकट्ठा हुए। मेलबर्न में नियो-नाजी थॉमस सेवेल ने भीड़ को संबोधित करते हुए आव्रजन रोकने की मांग की। इसके जवाब में प्रो-फलस्तीन और एंटी-फासिस्ट समूहों ने विरोध प्रदर्शन किए, जिसके चलते मेलबर्न में पुलिस को मिर्च स्प्रे और घुड़सवार दस्तों का उपयोग करना पड़ा। छह लोग गिरफ्तार हुए और दो पुलिसकर्मी घायल हुए। सिडनी में रिफ्यूजी एक्शन कोएलिशन की काउंटर-रैली में सैकड़ों लोगों ने “प्रवासी स्वागत हैं” जैसे नारे लगाए। पुलिस ने सिडनी में भारी तैनाती की, और कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

सरकार और विपक्ष की निंदा

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इन रैलियों को “नफरत फैलाने वाला” और नियो-नाजी समूहों से जुड़ा बताकर कड़ी निंदा की। गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा, “हमारी सामाजिक एकता को तोड़ने वालों का कोई स्थान नहीं।” विपक्षी नेता सुजैन ले और सीनेटर जूलियन लीसर ने भारतीय और यहूदी समुदायों के खिलाफ नस्लवादी भावनाओं को शर्मनाक बताया। सीनेटर जेम्स पैटरसन ने भी प्रदर्शनकारियों को “सावधान रहने” की सलाह दी। सरकार ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की ताकत उसकी बहुसांस्कृतिक पहचान में है। 2023 के गाजा युद्ध के बाद यहूदी-विरोधी घटनाओं के जवाब में नाजी प्रतीकों पर प्रतिबंध जैसे कानून लागू किए गए हैं। भारतीय समुदाय के नेताओं ने भी लोगों से सतर्क रहने को कहा है।

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