
Social Media Ban For Soldiers: भारतीय सेना ने अपने सैनिकों और अधिकारियों को इंस्टाग्राम का इस्तेमाल केवल देखने और निगरानी के लिए करने की अनुमति दे दी है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, हालांकि प्लेटफ़ॉर्म तक आंशिक रूप से पहुंच बहाल की गई है, लेकिन डिजिटल गतिविधियों से जुड़े नियम पहले की तरह सख्त बने हुए हैं। सैनिकों और अधिकारियों को अब भी किसी भी पोस्ट शेयर करने या टिप्पणी करने की अनुमति नहीं है।
क्यों लिया गया ये फैसला?
सूत्रों ने बताया कि इस नए आदेश को सभी सेना कमांड और विभागों को जारी किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अगर कोई सैनिक किसी फर्जी या भ्रामक पोस्ट को देखता है, तो उसे उच्च अधिकारियों तक रिपोर्ट किया जा सके। सेना समय-समय पर फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल के लिए दिशा-निर्देश जारी करती रही है। ये सख्त नियम खासतौर पर उन घटनाओं के बाद बनाए गए थे, जब कुछ सैनिक विदेशी एजेंसियों द्वारा हनीट्रैप का शिकार हुए और संवेदनशील जानकारी अनजाने में लीक हो गई।
सेना सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
2017 में तत्कालीन राज्य मंत्री रक्षा, सुब्रह्मण्यम भामरे ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया था कि ये दिशा-निर्देश मुख्य रूप से सूचना की सुरक्षा और उसे गलत तरीके से फैलने या बदलने से रोकने के लिए जारी किए गए थे। 2019 तक भारतीय सेना के personnel किसी भी सोशल मीडिया ग्रुप का हिस्सा नहीं बन सकते थे। 2020 में सेना ने और सख्ती करते हुए 89 मोबाइल एप्लिकेशन, जिनमें फेसबुक और इंस्टाग्राम शामिल थे, हटाने के निर्देश दिए थे और मौजूदा डिजिटल सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए कहा था।
सामान्य जानकारी के लिए कर सकते हैं इस्तेमाल
हालांकि, इन प्रतिबंधों के बावजूद, सेना ने पहले ही कुछ सोशल मीडिया अकाउंट जैसे फेसबुक, यूट्यूब, एक्स, लिंक्डइन, क्वोरा, टेलीग्राम और व्हाट्सएप के संचालन की अनुमति दे रखी है, लेकिन ये भी सख्त निगरानी और दिशा-निर्देशों के तहत किया जाता है। सेना पहले से ही अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स चलाती है। नए आदेशों के तहत अब सैनिक और अधिकारी इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सामान्य जानकारी के लिए कर सकते हैं।
इसके अलावा, सेना के personnel अब सुरक्षित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सामग्री का अध्ययन कर सकते हैं, पेशेवर अवसरों को देख सकते हैं और अपने रिज्यूमे अपलोड कर सकते हैं। इस कदम का मकसद सेना के अधिकारियों और सैनिकों को डिजिटल दुनिया में सतर्क बनाना और किसी भी गलत जानकारी या सुरक्षा खतरों की समय पर पहचान करना है।
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