
Kenyan Govt. Action Against Indian Crow: केन्या में कौवों की लगातार बढ़ती संख्या से परेशान होकर वहां की सरकार ने साल 2024 के अंत तक केन्या के सभी तटीय इलाकों से 10 लाख कौवों को हटाने का आदेश दिया है। केन्या सरकार के मुताबिक, ये कौवे भारतीय मूल के हैं। जानकारी के मुताबिक, ये कौवे साल 1940 में अफ्रीका चले गए थे। तब से इन कौवों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। तब से इनकी संख्या काफी बढ़ गई है और अब ये कौवे इतने आक्रामक हो गए हैं कि उन्होंने पक्षियों और लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। इनके कारण केन्या के पर्यटन और होटल उद्योग को गहरा नुकसान हो रहा है।
इन कौवों की वजह से केन्या में मौजूद अन्य पक्षियों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ये कौवे दूसरे पक्षियों के घोंसले बिखेर देते हैं। केन्या सरकार ने अब इन कौवों के खिलाफ जंग छेड़ दी है। इस बारे में केन्या वाइल्डलाइफ सर्विस (KWS) का मानना है कि ये 'इंडियन हाउस कौवे' विदेशी पक्षी हैं, जो सालों से यहां रहने वाले लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
केन्या के लिए कौवे कैसे बन रहे हैं समस्या?
केन्या के पक्षी विशेषज्ञ कॉलिन जैक्सन के अनुसार, इन भारतीय कौवों के कारण केन्या में अन्य पक्षियों की संख्या बड़ी संख्या में कम हो रही है। ये कौवे तटीय इलाकों में अन्य छोटे पक्षियों को परेशान कर रहे हैं, वे अन्य पक्षियों के घोंसलों को नष्ट कर रहे हैं। इसके साथ ही ये दूसरे पक्षियों के अंडे और चूजों को भी खाते हैं। वहीं दूसरी ओर कम पक्षियों के कारण पर्यावरण खराब हो रहा है। कीड़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं।
कौवों की बढ़ती संख्या से बिगड़ रही है अर्थव्यवस्था
कौवों की बढ़ती संख्या वहां के पर्यटकों और होटल इंडस्ट्री के लिए लगातार मुसीबत बनती जा रही है। समुद्र किनारे स्थित होटलों में कौवे पर्यटकों को परेशान कर रहे हैं। इसके अलावा ये खाने पीने वाले पर्यटकों को परेशान करते हैं, जिससे यहां पर्यटन कम हो रहा है। जिसके कारण केन्या की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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