काशी से मथुरा तक उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, प्रशासन ने जोड़े हाथ, 5 जनवरी तक ना आए

काशी से मथुरा तक उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, प्रशासन ने जोड़े हाथ, 5 जनवरी तक ना आए

New Year's Celebration: साल 2025 की विदाई और नए साल 2026 के स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश की काशी, मथुरा, अयोध्या से लेकर मध्य प्रदेश के उज्जैन तक, हर तरफ भारी सैलाब उमड़ पड़ा है। भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात के कड़े इंतजाम किए हैं। नए साल से पहले काशी, मथुरा और अयोध्या में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचने से हालात महाकुंभ जैसे बन गए हैं। काशी विश्वनाथ और अयोध्या में राम मंदिर के बाहर 2 KM तक लंबी लाइन लगी हुई है। अयोध्या में डेढ़ लाख श्रद्धालु राम मंदिर और हनुमानगढ़ी के आसपास मौजूद हैं। वही काशी में बाबा के दर्शन करने के लिए 3 लाख लोग पहुंचे हैं।  काशी विश्वनाथ धाम में एक हफ्ते में 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा नजारा सावन के सोमवार या महाकुंभ के समय ही देखने को मिला था। भारी भीड़ को देखते हुए का काशी विश्वनाथ मंदिर में चार गेट से श्रद्धालुओं को एंट्री दी जा रही है। स्पर्श दर्शन पर रोक लगा दी गई है। गर्भगृह में एंट्री पर रोक है। मंदिर के 2 किमी के दायरे में सभी गाड़ियों की एंट्री रोक दी गई है। 
 
मथुरा-वृंदावन में उमड़ी भारी भीड़ 
 
मथुरा-वृंदावन की गलियों में पैर रखने की जगह नहीं है। मथुरा में भी 2 लाख श्रद्धालु हैं। वृंदावन में 29 दिसंबर से 5 जनवरी तक अपार भीड़ की संभावना जताई गई है। मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि स्वास्थ्य, सुरक्षा और ट्रैफिक जाम को देखते हुए केवल आवश्यक होने पर ही वृंदावन आने का कार्यक्रम बनाएं।  कई बड़े मंदिरों ने विशेष एडवाइजरी जारी की है और VIP दर्शनों पर रोक लगा दी है।   
10 लाख भक्तों के पहुंचने का अनुमान
 
धार्मिक पर्यटन में इस बार ऐतिहासिक इजाफा देखा जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि देश के चार प्रमुख धामों में करीब 10 लाख भक्त पहुंचेंगे।  31 दिसंबर और 1 जनवरी को अकेले कुछ प्रमुख केंद्रों पर 2 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने की संभावना है।  भीड़ का आलम यह है कि वाराणसी और मथुरा जैसे शहरों के लगभग 150 बड़े होटल 3 जनवरी तक बुक हो चुके हैं। 80 से ज्यादा धर्मशालाओं में भी अब पैर रखने तक की जगह नहीं बची है।  

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