Cough Syrup Poisoning: मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की संदिग्ध मौतों के बाद चर्चा में आए कफ सिरप को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ा स्पष्टीकरण जारी किया है। मंत्रालय ने कहा कि जांच में किसी भी कफ सिरप के सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे खतरनाक रसायन नहीं पाए गए। ये वही रसायन हैं जो पहले अन्य देशों में बच्चों की मौत के लिए ज़िम्मेदार पाए गए थे। मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), NIV, CDSCO और राज्यों की संयुक्त टीम ने मौके से सैंपल एकत्र किए थे और किसी भी सैंपल में ये रसायन नहीं मिले।
राजस्थान में भी नहीं मिला प्रोपाइलीन ग्लाइकोल
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि राजस्थान में जिन सिरप को लेकर सवाल उठे थे, उनमें प्रोपाइलीन ग्लाइकोल की भी मौजूदगी नहीं पाई गई। संबंधित कफ सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन आधारित है, जिसे बाल चिकित्सा उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। वहीं, मध्य प्रदेश के एसएफडीए (SFDA) द्वारा किए गए परीक्षणों में भी DEG और EG की अनुपस्थिति की पुष्टि की गई है।
हालांकि, मौत के पीछे सिरप ही ज़िम्मेदार था या कोई और कारण, यह अब भी जांच का विषय है। एनआईवी पुणे में हुई जांच में एक बच्चे में लेप्टोस्पायरोसिस की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, पानी, मच्छरों और श्वसन संक्रमण से जुड़े कारणों की भी जांच की जा रही है। NCDC, NIV, ICMR, AIIMS नागपुर और राज्य स्तर के विशेषज्ञों की टीम पूरी स्थिति की गहराई से पड़ताल कर रही है।
5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए DGHS की एडवाइजरी
केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशक (DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कफ सिरप के उपयोग को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसमें साफ कहा गया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा नहीं दी जाए। वहीं, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कोई भी सिरप डॉक्टर की सलाह और क्लीनिकल मूल्यांकन के बाद ही दें। साथ ही, प्राथमिक इलाज के तौर पर गैर-दवा उपाय जैसे आराम, तरल पदार्थ और देखभाल को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है।
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