कीचड़-कीड़े, सड़क पर सोना, कंटेनर में 40 लोग उकड़ू बैठाए, 50 लाख गंवाकर भी डिपोर्ट, जनिए डंकी रूट से गए युवक की कहानी

कीचड़-कीड़े, सड़क पर सोना, कंटेनर में 40 लोग उकड़ू बैठाए, 50 लाख गंवाकर भी डिपोर्ट, जनिए डंकी रूट से गए युवक की कहानी

HARYANA NEWS: अमेरिका जाकर डॉलर कमाने का सपना लेकर डंकी रूट से जाने वाले युवाओं के लिए ये खबर एक सबक हो सकती है। एजेंट को 50लाख रुपए देकर अवैध रूप से अमेरिका में घुसे कुरुक्षेत्र के गांव उमरी के योगेश कुछ समय पहले डिपोर्ट हुए हैं।

घर लौटे योगेश ने बातचीत में डंकी रूट की 13वीडियो शेयर किए। जिनमें दिख रहा है कि काफी संख्या में युवा जंगल से गुजर रहे हैं। उनके पांव में छाले पड़े हैं। कीड़े चल रहे हैं। युवा सड़कों के किनारे पर जमीन पर लेटकर रात गुजार रहे हैं। एक कंटेनर में 40-50लोगों के भरा। सभी को घंटों उकड़ू बैठना पड़ता था और सांस लेना भी मुश्किल था।

डंकरों की मिनी बसों में ठसाठस अवैध प्रवासी भरे हैं। कहीं उफनती नदी के बीच छोटी सी नाव में कई लोगों को डंकी लगवाई जा रही है। कुछ वीडियोज में में महिलाएं व बच्चे भी दिखे। हालांकि सुनहरे सपने लेकर चल रहे युवा एक-दूसरे का हौंसला बढ़ाने के लिए  जोश दिखा रहे हैं, जबकि चेहरों पर थकान, आखों के नीचे काले घेरे साफ दिखा रहे हैं, वो वहां क्या झेल रहे थे। कुल सफर 168दिन में तय हुआ।

सुनिए योगेश की कहानी

50लाख में सौदा हुआ, 15लाख एडवांस लिए

उमरी के योगेश ने बताया कि जुलाई 2024में करनाल के एजेंट अंकित चौधरी, विकास और गुरी ने खुद को सरकारी एजेंट होने का दावा किया। उसे 50लाख रुपए में अमेरिका भेजकर नौकरी दिलाने का वादा किया। इसमें टिकट, लाइफ इंश्योरेंस और जॉब सिक्योरिटी शामिल थी। एडवांस में 15लाख रुपए मांगे और बकाया रकम अमेरिका जाकर देना तय हुआ।

ब्राजील में कस्टडी में लिया, छुड़ाने के 15लाख लिए

एजेंटी ने 22जुलाई 2024को फोन किया कि उसकी टिकट हो गई है। 26जुलाई दिल्ली एयरपोर्ट से फ्लाइट ली। उसे ब्राजील के बीजल एयरपोर्ट पर उतार दिया। जहां कस्टडी में ले लिया गया। तब परिवार ने एजेंट से संपर्क किया। उन्होंने उसे छुड़ाने के लिए 15लाख रुपए लिए।

डेढ़ महीना घुमाने के बाद कोलंबिया पहुंचाया

आरोपी उसे करीब डेढ़ महीने तक ब्राजील में घुमाते रहे। आरोपी बार-बार अमेरिका की सीधी फ्लाइट कराने का आश्वासन देते रहे। फिर जंगलों के रास्ते अमेरिका भेजने का प्लान बनाया। ब्राजील से उसे कार से बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया पहुंचाया।

बंदूक तानकर गुर्गों ने 32लाख रुपए मांगे

कोलंबिया में 1लाख रुपए मांगे। कोलंबिया से पनामा जंगल, कोस्टा रिका, निकारागुआ, ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचाया। वहां आरोपी के गुर्गों ने बंदूक तानकर जान से मारने की धमकी दी। 32लाख रुपए मांगे। परिवार ने घबराहट में यह रकम मुहैया कराई। मैक्सिको से अमेरिकी बॉर्डर पार कराते ही आर्मी ने उसे पकड़ लिया।

8महीने में जेल में रखा, फिर डिपोर्ट किया

यहां उनके पास कोई लीगल दस्तावेज नहीं थे। इसलिए उसे पकड़कर जेल में डाल दिया गया। यहां 8महीने हिरासत में रहने के बाद उसे 11सितंबर को डिपोर्ट दिया। पुलिस ने शिकायत पर एजेंटों पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

डंकी रास्ते में 168दिन के खौफनाक सफर की कहानी

पनामा से शुरू हुआ डरावना सफर

ब्राजील ने उनको गाड़ी के जरिए पनामा के जंगल तक पहुंचाया गया। फॉर सीटर गाड़ी में 10लोग बैठे थे। गाड़ी की खिड़कियां खोलने की इजाजत नहीं थी। रात को बचते-बचाते गाड़ी ने उनको पनामा के जंगल में छोड़ दिया। यहां उनको दूसरे डोंकर के हवाले कर दिया। इन डोंकर के पास पिस्टल से लेकर AK-47थी। सुबह उठते ही डोंकर ने चेतावनी दी कि साथ होकर चलना पड़ेगा। किसी ने भागने की कोशिश की तो गोली मार देंगे।

जंगल में टॉर्चर किया, दो दिन खाना और पानी नहीं

जंगल में टॉर्चर किया गया। 2दिन तक खाना और पानी नहीं दिया गया। पनामा के जंगल में उनको 1या 2दिन बाद तभी खाना मिल पाता था, जब डोंकर लेकर आते थे। खाने में सिर्फ एक टाइम चावल मिलते थे। नहर और नदी से पानी भरकर पीते थे।

नदी के पास बारिश में काटी 4रातें

जंगल पार करने के बाद वे नदी पर पहुंचे थे, लेकिन यहां 4दिन उनको बोट का इंतजार करना पड़ा। यहां रात को उनको छिपकर रहना पड़ा। 4दिन तक लगातार बारिश होती रही। इस कारण नदी में अपने उफान पर थी और ठंड अपने चरम पर। उनके पास ओढ़ने के लिए कोई कपड़ा नहीं था, जबकि पनामा जंगल में उनके बैग खाली करवा दिए थे।

रात में करवाई नदी पार

उनके पास ओढ़ने के लिए कोई कपड़ा नहीं था, जबकि पनामा जंगल में उनके बैग खाली करवा दिए थे। ठंड में उनकी हालत काफी खराब थी। 4दिन के बाद आधी रात को अचानक उनकी बोट आई तो उनको आधी नींद से उठाकर बोट में बैठा दिया। करीब 6घंटे में बारिश, ठंड और उफनती नदी को पार किया।

कोस्टा रिका में पुराने कपड़े लिए

नदी पार करके और 60किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद कोस्टारिका पहुंचे। यहां ठंड काफी ज्यादा थी। यहां पहुंचकर उसने एक स्टॉल से पुराने कपड़े खरीदे। 2-3दिन के बाद उनको एक गाड़ी में ठूंसकर निकारागुआ पहुंचाया।

17घंटे बैठे रहे उकड़ू

मेक्सिको से अमेरिका बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए उनको छोटे कैंटर में बैठा दिया। इस कैंटर में 40 से 50 लोग थे। सबको कैंटर में बैठाकर कैंटर को बाहर से बंद कर दिया। यहां सबको उकड़ू बैठना पड़ा, क्योंकि कैंटर में इतने लोगों के लिए जगह ही नहीं थी। वे करीब 17 घंटे तक कैंटर में उकड़ू बैठे रहे। कैंटर में सांस लेना मुश्किल हो रहा था।

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