NSBA Chief Alok Joshi: भारत-पाक तनाव के बीच सुरक्षा के लिहाज से भारत सरकार ने बड़ा फैसला किया है। मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार बोर्ड में बड़ा फेरबदल किया है। पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी स्थिति में NSBA की कमान पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को दी गई है। उन्हें NSBA का नया अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा इस बोर्ड में अब सात सदस्यों को जगह दी गई है, जिसमें देश के अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषक्षों को शामिल किया जाएगा। बता दें NSBA में तीन सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, दो भारतीय सेवा के रिटायर्ड अधिकारी और एक सेवानिवृत्त IFS को शामिल किया जाएगा। बता दें, NSBA रक्षा, खुफिया जानकारी और कूटनीति के क्षेत्रों में काम करता है।
क्यों आलोक जोशी है अहम?
आलोक जोशी राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से काम करते आए हैं। उन्होंने साल 2014 से 2014 तक रॉ के प्रमुख के रूप में काम किया था। इसके बाद उन्होंने 2015 से 2018 तक NTRO प्रमुख की भूमिका निभाई थी। जोशी ने नेपाल, पाकिस्तान औऱ बांग्लादेश में कई खुफिया ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी। तकनीकी क्षेत्र में जोशी का अनुभव साइबर खतरों से निपटने में मजजगार साबित होगा। इसके अलावा आतंकवाद विरोधी रणनीतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक चुनौतियों पर भी आलोक जोशी विशेष ध्यान देंगे। बता दें, आलोक जोशी को NSA अजित डोभाल के करीबीयों में गिना जाता है। उनकी नियुक्ति के पीछे भी डोभाल का ही हाथ बताया जा रहा है।
इन लोगों को भी मिली जगह:-
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एके सिंह:पूर्व दक्षिणी कमांडर रह चुके हैं। इनका सैन्य रणनीति और संचालन में लंबा अनुभव है।
एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) पीएम सिन्हा: पूर्व पश्च्मी वायु कमांडर, जो वायुसेना के संचालन और रणनीति में विशेषज्ञ हैं।
रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) मॉन्टी खन्ना: इन्हें समुद्री सुरक्षा और रणनीति का गहरा अनुभव है।
राजीव रंजन वर्मा: ये भारतीय पुलिस सेवा के रिटायर्ड अधिकारी हैं, जिन्होंने आतंरिक सुरक्षा र खुफिया मामलों का लंबा और महत्वपूर्ण अनुभव रहा है।
मनमोहन सिंह: भारतीय पुलिस सेवा के एक और सेवानिवृत्त अधिकारी, जो सुरक्षा और खुफिया क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।
बी वेंकटेश वर्मा: भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी, जो कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में विशेषज्ञ हैं।
Leave a comment