Pakistan: तुलबुल प्रोजेक्ट पर कश्मीर की सियासत गरमाई, उमर और महबूबा का आमना- सामना

Pakistan Tulbul Project: जम्मू-कश्मीर में तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता महबूबा मुफ्ती के बीच इस मुद्दे पर तीखी जुबानी जंग चल रही है। उमर ने प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की वकालत की है, जबकि महबूबा ने इसे 'गैर-जिम्मेदाराना' और 'खतरनाक रूप से भड़काऊ' नाम दे दिया है। इस विवाद ने न केवल क्षेत्रीय राजनीति को गरमाया है, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी सवाल खड़ा कर दिया हैं।
क्या है ? तुलबुल प्रोजेक्ट
तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट, जिसे वुलर बैराज के नाम से भी जाना जाता है, झेलम नदी पर वुलर झील के मुहाने पर बनाई गई एक नेविगेशन लॉक-कम-कंट्रोल संरचना है। इसका उद्देश्य सर्दियों में झेलम नदी पर नौवहन को आसान बनाना, बिजली उत्पादन को बढ़ाना और सिंचाई के लिए पानी असानी से उपलब्ध कराना है। 1984 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 1987 में पाकिस्तान के विरोध के कारण रुक गया था, जिसने इसे सिंधु जल संधि (IWT) का उल्लंघन बताया था। हाल ही में हुए, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित करने के फैसले ने इस प्रोजेक्ट को फिर से चर्चा में ला दिया है।
महबूबा मुफ्ती का विरोध
महबूबा मुफ्ती ने उमर के बयान को 'भड़काऊ' और 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए कड़ा विरोध जताया। उन्होंने X पर लिखा, "भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के समय इस तरह का बयान गैर-जिम्मेदाराना है। पानी जैसी जीवनदायी चीज को हथियार बनाना अमानवीय है।" महबूबा ने उमर के दादा शेख अब्दुल्ला को भी निशाने पर लिया, जिसके जवाब में उमर ने उन्हें 'सस्ती लोकप्रियता' और 'पाकिस्तान को खुश करने' का आरोप लगाया।
जबकि तुलबुल प्रोजेक्ट के पुनर्जनन से पाकिस्तान में बाढ़ या सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि यह झेलम नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करेगा। यह प्रोजेक्ट भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन पाकिस्तान इसे अपने जल संसाधनों के लिए खतरा मानता है।
Leave a comment