जब दीपावली से पहले सड़कों पर उतरते हैं भूत, जानें बंगाल के 'हैलोवीन' की अनोखी कहानी

जब दीपावली से पहले सड़कों पर उतरते हैं भूत, जानें बंगाल के 'हैलोवीन' की अनोखी कहानी

Bhoot Chaturdasi: भारत में दीपावली रोशनी, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसी पर्व का एक रहस्यमयी और अनूठा रूप देखने को मिलता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को वहां ‘भूत चतुर्दशी’ कहा जाता है। इस दिन बंगाल की गलियों में भूत-प्रेत जैसे स्वरूपों वाले पुतलों से सजे घर, चौराहे और गलियाँ डरावना माहौल बना देते हैं। शाम ढलते ही सड़कों पर फैले इन रहस्यमय दृश्यों को देखकर कोई भी चौंक सकता है, लेकिन यह डरावना दिखने वाला त्योहार दरअसल परंपरा, श्रद्धा और पूर्वजों के सम्मान से जुड़ा है।

काली चौदस और नकारात्मकता का अंत

भूत चतुर्दशी को बंगाल में काली चौदस भी कहा जाता है। यह दिन देवी काली को समर्पित होता है और मान्यता है कि इस रात नकारात्मक शक्तियाँ अधिक सक्रिय होती हैं। ऐसे में डरावने पुतलों के माध्यम से बुरी शक्तियों को दूर करने का प्रतीकात्मक प्रयास किया जाता है। घरों के बाहर शोर मचाकर दरिद्रता (दलिद्दर) को भगाया जाता है। कई लोगों के अनुसार, यह देवी काली के रौद्र रूप को प्रकट करने का भी प्रतीक होता है।

पूर्वजों की वापसी और 14 दीपों की परंपरा

भूत चतुर्दशी को पूर्वजों की आत्माओं के आगमन से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि इस दिन **14 पूर्वजों की आत्माएं** धरती पर लौटती हैं। इनका स्वागत करने और सुरक्षा के लिए घर के चारों ओर **14 दीपक** जलाए जाते हैं। हर दीपक एक पूर्वज का प्रतिनिधित्व करता है और घर को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए रौशनी का घेरा बनाता है।

चौदह शाक: परंपरा में छिपा स्वास्थ्य का रहस्य

इस दिन एक और अनूठी परंपरा निभाई जाती है – **चौदह प्रकार की पत्तेदार सब्जियों** (शाक) को पकाकर खाना। इसमें नीम, सरसों, ओल, केओ, शालिंचा, हिंचे, भांतपाता, शुष्णी जैसे पौष्टिक साग शामिल होते हैं। इनका सेवन शरीर को शुद्ध करने और मौसमी बदलावों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक माना जाता है।

संस्कृति, श्रद्धा और विज्ञान का अद्भुत मेल

पश्चिम बंगाल की भूत चतुर्दशी केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, पूर्वजों की स्मृति और स्वास्थ्य की चेतना का अनोखा संगम है। जहां एक ओर दीपावली प्रकाश और लक्ष्मी की पूजा का प्रतीक है, वहीं भूत चतुर्दशी हमें अंधकार से डरने के बजाय उसे समझने, सम्मान देने और सकारात्मक ऊर्जा से संतुलित करने का संदेश देती है।

Leave a comment