
Weapon Worship On Dussehra:देशभर में आज यानी 12 अक्टूबर को दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में ये त्योहार काफी मायने रखता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है। इसी दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। बता दें कि रावण वध कि याद में विजयादशमी मनाई जाती है। साथ ही रावण का पुतला दहन किया जाता है। वहीं, इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था।
इस दिन शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। शस्त्र मतलब बंदूक, तलवार, कटार, लाठी आदि शस्त्रों की पूजा की जाती है लेकिन, क्या आपको पता है विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजा क्यों की जाती है। शस्त्र पूजन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं शस्त्र पूजन के महत्व और विधि को
शस्त्र पूजन को लेकर कई कथाएं
एक कथा के मुताबिक, जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता को रावण से मु्क्त कराने के लिए युद्ध किया था और युद्ध में रावण का वध हुआ था। कहा जाता है कि भगवान राम युद्ध में जाने से पहले शस्त्र की पूजा की थी। दूसरी कथा के मुताबिक, जब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। उसके बाद सभी देवताओं ने मां दुर्गा के शस्त्रों का पूजन किया था। महिषासुर के वध को बुराई का अंत माना जाता है। बता दें कि शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन क्षत्रिय अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की याद में शस्त्र पूजन करते हैं।
शस्त्र पूजन की विधि
विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजा करने से पहले स्नान कर लें। फिर शुभ मुहूर्त निकालर अस्त्र-शस्त्र को एक जगह रखें। उसके बाद उसे साफ कर लें। इसके बाद सभी शस्त्रों पर मौली बांधे। उसके बाद सभी शस्त्रों पर तिलक लागाएं और फूल माला चढ़ाकर चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से विधि विधान के साथ पूजा करें। विजय दशमी का पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। शस्त्रों की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां और कष्ट, दरिद्रता खत्म होती हैं। इसके अलावा विजय दशमी के दिन शस्त्र पूजन से शोक और भय का नाश होता है।
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