Dussehra 2024: रावण के घर में किस तरह मनाया जाता है दशहरा? जानिए क्या है मान्यता

Dussehra 2024: रावण के घर में किस तरह मनाया जाता है दशहरा? जानिए क्या है मान्यता

Dussehra Festival: आज पूरे देश में दशहरे का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। दशहरा का पर्व हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन राम जी ने रावण का वध किया और लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस साल दशहरा का पर्व आज यानी 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को मनाया जा रहा है।

दशहरा के दिन रावण दहन किया जाता है। इसी के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के भी पुतले जलाए जाते है। लेकिन क्या आप जानते है कि सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि रावण के घर श्रीलंका में भी दशहरे की धूम देखने को मिलती है। भारत की तरह ही श्रीलंका में भी दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीलंका में दशहरे का पर्व

श्रीलंका में माता सीता और भगवान राम के कई मंदिर हैं, जहां दशहरे के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भारत में दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन श्रीलंका में लोग धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। यहां कुछ अलग अंदाज में इस पर्व को सेलिब्रेट किया जाता है।

कैसे मनाया जाता है दशहरा?

आपको बता दें कि भारत की ही तरह श्रीलंका में भी दशहरे का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान की पूजा, भक्ति गीत सुनने के साथ लोग एक-दूसरे से मिलते है। साथ ही उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। भारत में दशहरे पर रावण के पुतले को जलाया जाता है। लेकिन श्रीलंका में रावण दहन नहीं किया जाता है। यानी श्रीलंका में रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता है। यहां रावण के पुतले को जलाने की बजाए लोग धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। यहां लोग मंदिर में जा के पूजा-अर्चना करते हैं।

श्रीलंका के इन मंदिरों में दशहरे की धूमधाम

श्री अजनेया मंदिर: श्रीलंका में राम भक्त हनुमान जी का मंदिर है। ये मंदिर कोलंबो से 45 मिनट की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में आपको पंचमुखी हनुमान की मुर्ति के दर्शन होंगे। दशहरे के दिन इस जगह पर भी काफी भीड़ लगती है।

सीता अम्मन मंदिर: ये वही जगह है, जहां रावण ने मां सीता को रखा था। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है। ये मंदिर नुवारा एलिया से 5 किमी की दूरी पर है।

दिवूरोमपोला मंदिर: ये मंदिर सीता एलिया से 15 किलोमीटर दूरी पर है। ऐसी मान्यता है कि यहीं सीता मां की अग्नि परीक्षा हुई थी। इसलिए यहां भी दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

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