श्रीलंका में कैसे मनाया जाता है दशहरा, क्या यहां भी होती है राम-सीता की पूजा?

श्रीलंका में कैसे मनाया जाता है दशहरा, क्या यहां भी होती है राम-सीता की पूजा?

Dussehra in Sri Lanka: भारत में दशहरा के दिन लोग राम सीता की पूजा करते हैं। इसके साथ ही शाम को रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतलों को जलाकर दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि श्रीलंका में भी इस त्योहार को लोग मानते हैं? श्रीलंका और रावण का संबंध हिन्दू धर्म के प्राचीन महाकाव्य रामायण में उल्लेख किया गया है। रामायण में रावण को लंका का राजा बताया गया। कहा जाता है कि रावण लंका का राजा था और उसने श्रीलंका को भव्य नगर के रूप में बसाया था।

रावण ने सीता माता का हरण किया था। इस वजह से राम और रावण के बीच युद्ध हुआ। ये युद्ध श्रीलंका के मैदान में लड़ा गया था और अंत में राम ने रावण का वध किया। कई लोग ये जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि श्रीलंका में दशहरा कैसे मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है ये त्योहार?

श्रीलंका में भी लोग इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न में मनाते हैं और राम-सीता की पूजा करते हैं। भारत में मनाए जाने वाले उत्सवों की तरह लोग श्रीलंका में भी दस दिनों के महायुद्ध की समाप्ति का जश्न मनाते हैं। दिवाली, ईद और पोंगल जैसे लोकप्रिय भारतीय त्योहारों की तरह, श्रीलंका में दशहरा भी एक लोकप्रिय त्योहार है।

जुलूस निकालते है लोग

श्रीलंका के कुछ हिस्सों में लोग जुलूस निकालते हैं जिनमें कलाकार रामायण के प्रमुख पात्रों का अभिनय करते हैं। यहां भी रामलीला दस दिनों तक रामलीला आयोजित की जाती है। रावण काफी विद्वान था इसलिए श्रीलंका में कई जगहों पर लोग रावण को एक विद्वान के रूप में भी देखते हैं।

भगवान राम की करते हैं पूजा

श्रीलंका में रावण दहन भारत की तरह नहीं होता है। वहां अधिकतर लोग रावण का पुतला नहीं जलाते हैं। हालांकि, इस बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न जरूर मनाया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान राम की पूजा की जाती है। 

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