Shivaji Birth Anniversary: भारत के सच्चे बाहुबली, जानें जब दुश्मन की बहू दरबार में लाई गई तो शिवाजी ने क्या दिया आदेश?

Shivaji Birth Anniversary: भारत के सच्चे बाहुबली, जानें जब दुश्मन की बहू दरबार में लाई गई तो शिवाजी ने क्या दिया आदेश?

Shivaji Maharaj Birth Anniversary: देश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने 2017में आई एस. एस. राजामौली की फिल्म बाहुबली 2: द कनक्लूजन न देखी हो। इस फिल्म का प्रसिद्ध संवाद – "औरत पर हाथ डालने वाले का हाथ नहीं, काटते हैं उसका गला" – आज भी लोगों की जुबां पर है। लेकिन, सदियों पहले ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने महिलाओं के सम्मान के लिए ऐसे ही कठोर फैसले लिए थे।

बता दें कि, आज 19फरवरी को महान मराठा योद्धा और कुशल रणनीतिकार छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती मनाई जा रही है। शिवाजी महाराज का जीवन बहादुरी, न्याय और मराठा स्वाभिमान का प्रतीक रहा है। उन्होंने हमेशा महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को प्राथमिकता दी। उनकी सेना को सख्त आदेश था कि किसी भी छापामार अभियान के दौरान किसी महिला को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। जो कोई भी इस नियम को तोड़ता, उसे कठोर दंड दिया जाता।

जब शिवाजी महाराज के सामने लाई गई दुश्मन की बहू

शिवाजी महाराज और मुगलों के बीच कई ऐतिहासिक युद्ध हुए। ऐसी ही एक घटना कल्याण के किले पर मराठा सेना की विजय के दौरान घटी। इस युद्ध में मराठा सेना को भारी संपत्ति और हथियार मिले। साथ ही, मुगल किलेदार की बहू को भी बंदी बना लिया गया।

मराठा सेनापति ने इस महिला को एक भेंट के रूप में शिवाजी महाराज के सामने प्रस्तुत किया। लेकिन शिवाजी महाराज ने जैसे ही पालकी का पर्दा हटाया, उनका सिर झुक गया। उन्होंने कहा, "काश मेरी माता भी इतनी सुंदर होती, तो मैं भी सुंदर होता।" इसके बाद उन्होंने सेनापति को फटकार लगाई और आदेश दिया कि इस महिला को पूरे सम्मान के साथ उसके घर पहुंचाया जाए।

बाहुबली से पहले शिवाजी महाराज का सख्त आदेश

शिवाजी महाराज महिलाओं के सम्मान के प्रति बेहद सख्त थे। उन्होंने स्पष्ट आदेश दिया था कि यदि कोई किसी महिला का अपमान करता है या उस पर हाथ उठाता है, तो उसे कठोर दंड दिया जाएगा। उनका फरमान था – "महिला पर हाथ डालने वाले का गला काट दो।" यह आदेश उनकी न्यायप्रियता और स्त्रियों के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, न्यायप्रियता और महिलाओं के प्रति आदर आज भी सभी के लिए प्रेरणा है। उनकी नीतियां हमें सिखाती हैं कि सच्चा शासक वही होता है जो अपनी प्रजा की रक्षा और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

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