Silver Price Down: दिवाली के बाद चांदी का बाजार पड़ गया ठंडा, 7 दिनों में 20,000 रुपये सस्ती; जानें इसका कारण

Silver Price Down: दिवाली के बाद चांदी का बाजार पड़ गया ठंडा, 7 दिनों में 20,000 रुपये सस्ती; जानें इसका कारण

Silver Price Crash: चांदी के दामों में आई भारी गिरावट ने निवेशकों और ज्वेलर्स को हैरान कर दिया है। जहां एक हफ्ते पहले चांदी के भाव 1,72,000रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थे, वहीं आज यह 1,55,000रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। यानी महज सात दिनों में करीब 17,000रुपये की गिरावट! कुछ शहरों में यह अंतर 20,000रुपये तक पहुंचा है। दीवाली के उत्साह के बीच शुरू हुई यह तेजी अब ठंडी पड़ गई है।

मालूम हो कि 2025में चांदी के दामों ने रिकॉर्ड तोड़े थे। जनवरी से अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिल्वर 60%से ज्यादा चढ़ा, जबकि भारत में यह 72%की तेजी दिखा चुका था। लेकिन अक्टूबर के मध्य से शुरू हुई गिरावट ने सबको चौंका दिया। 21अक्टूबर को वैश्विक स्तर पर सिल्वर 8%लुढ़का, जो 2021के बाद का सबसे बड़ा एकदिनी नुकसान था। भारत में एमसीएक्स पर चांदी के फ्यूचर्स 15%तक गिरे। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि इस गिरावट के पीछे क्या कारण हैं।

1. तेजी के बाद मुनाफावसूली का दौर

बता दें, चांदी की कीमतें अक्टूबर में $54प्रति औंस के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची थीं, लेकिन उसके बाद निवेशकों ने भारी मुनाफा कमा लिया। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह 'ओवरबॉट' स्थिति का नतीजा है, जहां तकनीकी संकेतक (जैसे आरएसआई) चेतावनी दे रहे थे कि बाजार में ज्यादा खरीदारी हो चुकी है। भारत में ईटीएफ में 1.8अरब डॉलर का प्रवाह हुआ था, लेकिन गिरावट के साथ ही आउटफ्लो शुरू हो गया।

2. मजबूत अमेरिकी डॉलर

अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में हालिया तेजी ने चांदी के दामों पर दबाव डाला है। डॉलर मजबूत होने से विदेशी मुद्रा में चांदी महंगी हो जाती है, खासकर भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए। फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर सकारात्मक आंकड़ों (जैसे कम मुद्रास्फीति) ने डॉलर को बल दिया। इससे सुरक्षित निवेश के रूप में चांदी की चमक फीकी पड़ गई। वैश्विक स्तर पर, डॉलर की यह मजबूती चांदी को 7%तक नीचे धकेल चुकी है।

3. भू-राजनीतिक तनाव में कमी

2025की शुरुआत में यूक्रेन-रूस संघर्ष और मध्य पूर्व की अस्थिरता ने चांदी को 'सुरक्षित हेवन' का दर्जा दिया था। लेकिन हाल के हफ्तों में अमेरिका-चीन व्यापार वार्ताओं में प्रगति और यूएस-भारत संबंधों में सुधार की खबरों ने जोखिम की धारणा कम कर दी। इससे निवेशक स्टॉक्स और बॉन्ड्स की ओर लौट आए।  

4. दीवाली के बाद दिखी सुस्ती

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चांदी उपभोक्ता है और दीवाली की मांग ने अक्टूबर में वैश्विक बाजार को हिला दिया था। लेकिन त्योहार खत्म होते ही खरीदारी रुक गई। मुंबई के ज्वेलर्स के अनुसार, प्रीमियम $5प्रति औंस तक चढ़ गए थे, लेकिन अब आयात 42%गिर चुका है। इसके अलावा वैकल्पिक निवेश जैसे डिजिटल गोल्ड ने पारंपरिक चांदी खरीद को प्रभावित किया।

5. औद्योगिक डिमांड में वैश्विक मंदी का असर

चांदी का 70% उत्पादन अन्य धातुओं की खदानों से आता है और 2025 में ग्लोबल सप्लाई पहले ही टाइट थी। लेकिन लंदन मार्केट में अमेरिका-चीन से शिपमेंट्स नॉर्मल होने से कमी दूर हो गई। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर पैनल जैसे क्षेत्रों में डिमांड धीमी पड़ी, क्योंकि ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी के संकेत दिखे।

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