Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री पेश करेंगी आठवां बजट, बजट को समझने के लिए रखे इन 8 बातों का ध्यान

Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री पेश करेंगी आठवां बजट, बजट को समझने के लिए रखे इन 8 बातों का ध्यान

Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमणअगले महीने  आगामी 1 फरवरी को देश की संसद में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह बजट मोदी 3.0 का दूसरा पूर्ण बजट होगा। इस बजट में इनकम टैक्स में छूट के साथ कई और नई घोषणाएं की जा सकती हैं। इस बजट पर युवाओं, किसानों के साथ  महिलाओं और व्यापारियों को बेहतरी की उम्मीद है। सरकार को कई प्रकार कीचुनोतियोंका सामना करना पड सकता है। जिसमें जीडीपी ग्रोथ रेट, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी है। जिनसे निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगा। बजट को समझने के लिए किन बातों का राखना होगा ध्यान

1- बजट अनुमान

बता दें यह आठवां बजट अनुमान मंत्रालयों, क्षेत्रों के साथ विभागों और योजनाओं को आवंटित किए जाने वाले अनुमानित धन की जानकारी देता है। इसका उपयोग इस लिए किया जाता है कि धन का उपयोग कैसे और कहां किया जाए।

2- वार्षिक वित्तीय विवरण

पिछले वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा सरकार के लिए कुल व्यय और राजस्व प्राप्तियों के बीच का अंतर है।

3- प्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर वेटैक्स होता है जिसमे सीधे करदाताओं से वसूले जाता हैं, और कॉर्पोरेट के साथ आयकर आते है।

4- आर्थिक अवलोकन

आर्थिक अवलोकन बजट सत्र के दौरान पेश किया जाता है। बजट का यह दस्तावेज आगामी वित्तीय वर्ष के समय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के रूपरेखा को बताता है

5- राजकोषीय घाटा

राजकोषीय के इस अंतर को सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेकर करती है। इस इसकी गणना सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में की जाती है।

6- अप्रत्यक्ष कर

अप्रत्यक्ष कर की बात करे तो अप्रत्यक्ष रूप से करदाताओं से वसूल किया जाता हैं। जिसमें जीएसटी, वैट, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, और सेवा कर आते है।

7- महंगाई

महंगाई देश में वस्तुओं, सेवाओं और वस्तुओं की सामान्य कीमतों में वृद्धि से होता है। समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी होना। महंगाई जितनी अधिक होती है, उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति उतनी ही कमज़ोर होती जाती है।

8- नई कर व्यवस्था

नई कर व्यवस्था की बात करे तो 2022 में शुरू की गई नई टैक्स व्यवस्था में रियायती दरों के साथ सात टैक्स स्लैब हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, यह डिफ़ॉल्ट व्यवस्था बन गई।हंलाकि पुरानी टैक्स व्यवस्था एक विकल्प बन गई है।

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