Bangladesh Crisis: कौन हैं वकार उज जमान? तख्तापलट के बाद जिनके हाथों में आएगी बांग्लादेश की सत्ता

Bangladesh Crisis: कौन हैं वकार उज जमान? तख्तापलट के बाद जिनके हाथों में आएगी बांग्लादेश की सत्ता

Army Chief Waqar Uz Zaman: बांग्लादेश से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो भयावह है। हालात बिगड़ते देख प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़ कर भारत आ रही हैं। हालांकि, आज की तस्वीर देखकर एक बात तो तय हो गई है कि आने वाले समय में कोई नए व्यक्ति के हाथों में बांग्लादेश की सत्ता आने वाली है। अब सवाल ये है कि आखिर ये सत्ता आएगी किसके हाथों में?फिलहाल तो बांग्लादेश का कमान सेना के हाथों में आ गया है। सेना ने ही शेख हसीना के इस्तीफे और देश में अतंरिम सरकार बनाने की घोषणा की है। अगर सेना अंतरिम सरकार बना लेती है तो देश की सत्ता आर्मी चीफ वकार उज जमान के हाथों में आ जाएगी।

कौन हैं वकार उज जमान?

लेफ्टिनेंट जनरल वकार उज जमान को आर्मी चीफ बने अधिक समय नहीं हुआ है। उन्हें 11 जून 2024 को ही चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ चुना गया था। उनका कार्यकाल 23 जून से अगले तीन साल तक है। इससे पहले 1 जनवरी 2023 से वे चीफ ऑफ जनरल स्टाफ रहे हैं। साल 1985 में वो बतौर अफसर रुप में सेना का हिस्सा बने थे। पुछले 39 सालों में वो सेना के कई पदों पर रहकर सेवाएं दी हैं। वे बांग्लादेश डिफेंस सर्विसेज कमांड एंड स्टाफ कॉलेज और यूनाइटेड किंगडम के ज्वाइंट सर्विसेज कमांड एंड स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने सारानाज़ कमालिका ज़मानसे शादी की है और उनकी दो बेटियां समिहा रायसा ज़मानऔर शायरा इब्नत ज़मांहै।

हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब देश में सैन्य शासन होने जा रहा है। इससे पहले भी साल 1975 में तत्कालिन प्रधानमंत्री और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की परिवार के 18 लोगों सहित हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद अगले 15 सालों तक बांग्लादेश में सेना का शासन रहा था। बता दें, बांग्लादेश दुनिया की 37वीं सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति है।

क्यों तख्तापलट हुआ बांग्लादेश में?

गौरतलब है कि पिछले महीनें 1971 में बांग्लादेश की आजादी में जिन्होंने भाग लिया था, उनके परिवार को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान की घोषणा की गई थी। इसके बाद ही छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और सड़कों पर पुलिस और छात्रों के बीच संघर्ष शुरु हो गई। इस फसाद में अबतक 200 से अधिक लोगों की जान चली गई हैं। हालांकि, मामले को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अलग-अलग विश्वविधालय के कुलपतियों से शनिवार को मुलाकात की थी। इसके बाद शेख हसीना ने छात्रों को भी मिलने के लिए अपने आवास पर बुलाया था। लेकिन छात्रों ने पीएम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

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