दीपावली के लिए मिट्टी के दीपक बनाने में जुटे कारीगर, महंगाई और बेरोजगारी का भी दिखा असर, कोरोना के बाद इस साल कारीगरों को आस

दीपावली के लिए मिट्टी के दीपक बनाने में जुटे कारीगर, महंगाई और बेरोजगारी का भी दिखा असर, कोरोना के बाद इस साल कारीगरों को आस

जयपुर: राजस्थान के जयपुर में दीपों के त्यौहार दीपावली को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल होने लगी है। दूसरी तरफ कुम्हार वर्ग भी इस कोशिश में लगा हुआ है कि कही उनकी दीपावली भी इस बार कही फीकी ना रह जाए, दूसरी तरफ मां लक्ष्मी ओर दूसरे देवी देवताओं की आरती के लिए जलाए जाने वाले दिये और घर को रोशन करने के लिए दिये की कमी ना हो जाए तो कुम्हार दीपावली के लिए दिये तैयार करने में लग चुके हैं।

दीपावली त्योहार को लेकर हर तरफ खुशी और उल्लास दिखाई देने लगा है। इस त्यौहार पर मिठाई, ड्राय फूट, फल, कपड़े आभूषण ओर खानपान बर्तन के साथ ही कई तरह के सामान की खरीददारी भी की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ इस त्यौहार में दिये को भी काफी खास माना जाता है। कुम्हार दीपावली पर दिये से घरों को रोशन करने के लिए तैयारियों में जुट चुके हैं इसके साथ ही बाजार में भी यह दिये बिकना शुरू हो चुके हैं।

वही कुम्हार ने जानकारी देते हुए बताया की 2500 से 3000 में चिकनी मिट्टी की ट्राली रेत खरीद कर "मिट्टी के दिये " बनाकर कुम्हार मुनाफा भी नहीं कमा पा रहे हैं तो वहीं रीति- रिवाज को ज़िंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं।  20 से 30 साल पहले जहाँ कुम्हार को आसपास की जगह से दिये बनाने के लिए चिकनी मिट्टी आसानी से मुहैया हो जाती थी लेकिन अब इस मिट्टी की मोटी कीमत चुकानी पड़ती है। इस मिट्टी से तैयार दिये को खरीदते वक्त लोग मोलभाव करना नहीं भूलते है क्योंकि काफी कम कीमत होने पर रोजी - रोटी भी चलना मुश्किल हो चुका है ।

इस व्यापार से 53 परिवार जुड़े हैं। वही कारीगर हरिकिशन बताते हैं कि करीब 53 परिवार ऐसे हैं जो इस काम से जुड़े हुए हैं लेकिन इस बार दीयों की दीपावली भी सूनी नजर आने लगी है। उन्होंने कहा कि इस बार त्यौहार पर पहले जैसी रंगत नजर नहीं आ रही है क्योंकि काफी कम लोग हैं जो इस बार दिये बनाने का काम कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं है कि इस बार कुम्हार परिवार के ज़रिए बनाए गए दिये बिक भी पाएंगे या नहीं, वही पहले ही बाजारों में चाइनीस लाइट की बिक्री के बाद मिट्टी के दिये पूरी तरह से खत्म हो चुके थे, लेकिन इस बार जिस तरह से कोरोना महामारी ने पूरे मुल्क में अपना असर दिखा दिया है उसको देखते हुए उन्हें काफी कम उम्मीद है कि वह कुछ कमा भी पाएंगे या नहीं.

अपनी तमाम मेहनत के बाद मिट्टी के दीपक बनाने वाले कारीगरों को कोरोना के बाद इस बार आस है कि उनकी मेहनत रंग लाएगी और मार्केट में उनके द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीपक अच्छे दामों में बिकेंगे, जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकेंगे और खुशियों के साथ वो भी दीपावली का त्यौहार मना सकेंगे.

Leave a comment