आत्मनिर्भर भारत का बड़ा कदम, राजनाथ सिंह ने की स्वदेशी जेट इंजन बनाने का ऐलान

आत्मनिर्भर भारत का बड़ा कदम, राजनाथ सिंह ने की स्वदेशी जेट इंजन बनाने का ऐलान

Indigenous Jet Engine: भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को एक कार्यक्रम में घोषणा की कि भारत जल्द ही स्वदेशी तकनीक से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट इंजन का निर्माण शुरू करेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में फ्रांस की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी सैफरन (Safran) भारत की साझेदार होगी। रक्षा मंत्री ने बताया कि आज के समय में आतंकवाद, क्षेत्रीय संघर्ष और ट्रेड वॉर जैसी चुनौतियों के बीच भारत की सेना विदेशी आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकती।

भारत जल्द बनाएगा स्वदेशी जेट इंजन

राजनाथ सिंह ने कहा, 'आत्मनिर्भरता हमारी स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी की रक्षा के लिए जरूरी है। भारत न तो किसी से दुश्मनी चाहता है और न ही अपने हितों से समझौता करेगा।' उन्होंने कहा कि फाइटर जेट इंजन का निर्माण दुनिया की सबसे जटिल और उन्नत तकनीकों में से एक है। अभी तक भारत अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के लिए इंजन के मामले में अमेरिका (जीई-404 और जीई-414) और अन्य देशों पर निर्भर रहा है। 1986 में शुरू हुआ 'कावेरी' इंजन प्रोजेक्ट तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका। हालांकि, अब सैफरन के साथ साझेदारी और 100% तकनीक हस्तांतरण (Technology Transfer) के वादे के साथ भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इस परियोजना का नेतृत्व करेगा, जिसमें 120 किलोन्यूटन थ्रस्ट क्षमता वाले जेट इंजन का डिजाइन, विकास, निर्माण और टेस्टिंग भारत में ही होगी। यह इंजन उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) के लिए विकसित किया जा रहा है, जो भारत का पहला स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट होगा। शुरुआती AMCA मॉडल में अमेरिकी जीई-414 इंजन का उपयोग हो सकता है, लेकिन स्वदेशी इंजन के विकास के बाद इसे AMCA मार्क-2 में एकीकृत किया जाएगा, जिसके 2030 के दशक में सेवा में आने की उम्मीद है।

मेक इन इंडिया और रक्षा निर्यात में उछाल

राजनाथ सिंह ने 'मेक इन इंडिया' पहल को न केवल भारत बल्कि वैश्विक बाजार के लिए रक्षा उत्पादन का केंद्र बताया। पिछले एक दशक में भारत का रक्षा निर्यात 35 गुना बढ़कर 2013-14 के 686 करोड़ रुपये से 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सरकार ने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, घरेलू रक्षा उत्पादन 2014 के 40,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, और इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख करोड़ रुपये को पार करने की उम्मीद है।

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