ऐग्जिक्यूटिव ऐक्शन से सरकार देगी इकॉनमी को रफ्तार

ऐग्जिक्यूटिव ऐक्शन से सरकार देगी इकॉनमी को रफ्तार

करप्शन के आरोपों पर संसद में पीएम नरेंद्र मोदी से जवाब मांग रहे विपक्ष की जिद में घिरने के कारण केंद्र सरकार जीएसटी बिल जैसे महत्वपूर्ण सुधार पर भले ही कदम नहीं बढ़ा सकी हो, लेकिन अब यह एक के बाद एक ऐग्जिक्युटिव ऐक्शन लेकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने की तैयारी में है। इस सीरीज में पहला कदम शुक्रवार को सरकारी बैंकों के लिए नया फ्रेमवर्क पेश कर उठाया गया था। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि जीएसटी बिल पास करने की जरूरत के बारे में विपक्षी दलों को समझाने के लिए सरकार पुरजोर कोशिश करेगी, लेकिन वह दूसरे सुधारों से अपना ध्यान नहीं हटाएगी, जिन पर वह काम कर रही है।

सिन्हा ने ईटी से कहा, कई पहलुओं पर काम कर रही एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हमारे पास दूसरे कई आर्थिक सुधार के काम है, जिन पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, हम सभी दूसरे मामलों में आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था को इस अहम चरण में जरूरी ढांचागत विकास मिले। सिन्हा ने संकेत दिया कि सरकार विधायी मोर्चे पर मिली निराशा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। सिन्हा ने कहा कि कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट को मजबूत करने और राष्ट्रीय ढांचागत एवं निवेश फंड के जरिये ढांचागत निवेश में तेजी लाने के लिए सरकार आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य विद्युत बोर्डों पर बढ़ते कर्ज जैसे मुद्दों पर पॉलिसी स्तर पर व्यवस्थित तरीके से दखल देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, डिस्कॉम्स पर कर्ज के बोझ का मसला सुलझाने के लिए हम एक फ्रेमवर्क बनाने पर विचार कर सकते है।

सरकार ने शुक्रवार को बैंकिंग सेक्टर के लिए सात चरणों वाला फ्रेमवर्क पेश किया था। सरकार का अजेंडा है कि सरकारी बैंकों में प्राइवेट सेक्टर के ऐग्जिक्युटिव्स का अपॉइंटमेंट किया जाए और इन बैंकों में गवर्नेंस को बेहतर करने के कदम उठाए जाएं। सिन्हा ने कहा कि यह प्रोग्राम सरकारी बैंकों को फाइनैंशल सेक्टर की बदलती पिक्चर के मुताबिक तैयार करने के लिए बनाया गया है।

सरकार ने कहा कि इकनॉमिक रिकवरी को रफ्तार देने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाया तो जाएगा, लेकिन ध्यान रखा जाएगा कि सरकारी घाटा न बढ़े। उन्होंने कहा, हमें विश्वास है कि इकॉनमी में तेजी लाने के लिए खर्च में जरूरी बढ़ोतरी की गुंजाइश हमारे पास होगी। हम मौजूदा वित्त वर्ष में सरकारी घाटा को जीडीपी के 3.9% पर रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

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