फाइनैंशल कोड पर फैसला सार्वजनिक प्रतिक्रिया के बाद: अरुण जेटली

फाइनैंशल कोड पर फैसला सार्वजनिक प्रतिक्रिया के बाद: अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इंडियन फाइनैंशल कोड (आईएफसी) के मसौदे पर सरकार कोई भी फैसला विभिन्न पक्षों से उनकी टिप्पणियां प्राप्त होने के बाद ही करेगी। फाइनैंशल कोड में रिजर्व बैंक गवर्नर के अधिकारों में कटौती का प्रस्ताव किया गया है। जेटली ने कहा, एफएसएलआरसी ने अपनी सिफारिशें दी है, इन्हें प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक किया गया है। उनकी टिप्पणियां प्राप्त होने के बाद ही सरकार इस बारे में कोई निर्णय लेगी।

केंद्रीय बैंक की मॉनिटरिंग पॉलिसी समिति के ब्याज दर फैसले पर वीटो करने के रिजर्व बैंक के प्रमुख के अधिकार को वापस लेने का प्रस्ताव किया गया है। इंडियन फाइनैंशल कोड के संशोधित मसौदे में सरकार के चार प्रतिनिधि रखने जबकि रिजर्व बैंक के चेयरपर्सन सहित केंद्रीय बैंक के केवल तीन प्रतिनिधि रखने का प्रस्ताव किया गया है।

मसौदे में हालांकि, रिजर्व बैंक के चेयरपर्सन की बात कही गई है न कि रिजर्व बैंक गवर्नर की बात की गई है। वर्तमान में रिजर्व बैंक का गवर्नर ही उसका प्रमुख होता है। आईएफसी का संशोधित मसौदा वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह जारी किया था। ये सिफारिशें वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) की सिफारिशों के आधार पर की गई है। आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण ने की थी।

रिपोर्ट में कहा गया है,रिजर्व बैंक को एक मौद्रिक नीति समिति गठित करनी चाहिए, जिसमें कि यह मुद्रास्फीति लक्ष्य हासिल करने के लिए नीतिगत दर के बारे में बहुमत के आधार पर फैसला करे। वर्तमान में इस बारे में रिजर्व बैंक गवर्नर एक तकनीकी सलाहकार समिति के साथ विचार विमर्श करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह मौद्रिक नीति उपाय करते समय बहुमत के अनुरूप ही फैसला करे।

कालेधन पर विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट से आशंकाग्रस्त निवेशकों को दिलाशा देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार पी-नोट के मामले में जल्दबाजी में ऐसा कोई फैसला नहीं करेगी जिससे भारत में निवेश का वातावरण प्रभावित हो। काले धन की जांच पर उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में पी-नोट्स के जरिए आने वाले निवेश की निगरानी सख्त करने और इसके लिए ठोस नियमन बनाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्री ने कहा कि एसआईटी ने काले धन पर अंकुश के लिए पी-नोट्स के मालिकों की पहचान के लिए जिन कड़े उपायों की सिफारिश की है, उन पर सोच विचार के बाद ही फैसला लिया जाएगा।

 

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