
उच्चतम न्यायालय ने विदेशी मुद्रा विनियमन कानून (फेरा) के प्रावधानों के उल्लंघन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई निरस्त करने संबंधी शराब कारोबारी विजय माल्या की अपील सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जे एस केहर और न्यायमूर्ति आदर्श गोयल की खंडपीठ ने माल्या की अपील खारिज करते हुए फेरा के प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। न्यायालय ने इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए माल्या पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है। ईडी ने फेरा कानून के प्रावधानों के उल्लंघन मामले में यूनाइटेड ब्रेवरीज (यूबी) समूह को समन जारी किया था, लेकिन उन्होंने इस पर अमल नहीं किया था। इसके बाद ईडी ने निचली अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसे निरस्त कराने वह उच्च न्यायालय पहुंचे थे। उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर माल्या ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्हें यहां से भी निराशा हाथ लगी है। प्रवर्तन निदेशालय ने दिसम्बर 1995 में ब्रिटिश कंपनी बेनेट्टन फॉर्मूला लिमिटेड को २ लाख डॉलर भेजने के आरोपों के मद्देनजर माल्या को नोटिस जारी किया था। माल्या ने विदेशों में अपने ङ्क्षकगफिशर ब्रांड को प्रोमोट करने के लिए लंदन की इस कंपनी से करार किया था।
माल्या ने लंदन और अन्य यूरोपीय देशों में 1996, 1997 और 1998 में होने वाली फॉर्मूला वन वल्र्ड रेसिंग चैम्पियनशिप में किंगफिशर बीयर का लोगो प्रदर्शित करने के लिए २ लाख अमेरिकी डॉलर की राशि हस्तांतरित की थी। यह राशि कथित तौर पर भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति के बिना ही भेज दी
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