चीन में बाजार को संभालने की कोशिशें तेज

चीन में बाजार को संभालने की कोशिशें तेज

चीन के शेयर बाजार में पिछले तीन हफ्तों में आई तेज गिरावट के बाद बाजार को संभालने की कोशिशें तेज हो गई हैं। सरकार की कोशिशों के साथ ब्रोकरेज कंपनियां भी बाजार को संभालने में जुट गई है। चीन के 21 ब्रोकरेज ने कहा है कि वे कुल मिलाकर 19.3 अरब डॉलर का निवेश करेंगे, ये उनकी जून के अंत में दर्ज कुल नेट एसेट का 15 फीसदी है। सिक्युरिटी एसोसिएशन ऑफ चीन के मुताबिक ब्रोकिंग फर्म ब्लूचिप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश करेंगी। ब्रोकरेज फर्म इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि वे तब तक इस रकम को नहीं निकालेंगी जब तक शंघाई कंपोजिट 4,500 के स्तर से नीचे रहेगा।

चीन के बाजारों में गिरावट को कम करने के लिए चीन के बाजार नियामक ने संकेत दिए हैं कि वह लंबी अवधि के निवेशकों को बढ़ावा देगा, साथ ही आईपीओ की संख्याओं में कटौती करेगा। इससे आईपीओ के तुरंत बाद होने वाली मुनाफा वसूली को नियंत्रित किया जा सके। वहीं पीपुल्स बैंक ऑफ चीन बैंकों को 40 अरब डॉलर का मध्यम अवधि का लोन देगा। बैंक के मुताबिक इस रकम से सिस्टम में नकदी का प्रवाह बनाए रखने में सहायता मिलेगी।

चीन के बाजार में पिछले 3 हफ्तों में निवेशकों के 3 लाख करोड़ डॉलर डूब चुके है। कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन चीन का प्रमुख इंडेक्सब शंघाई 7 फीसदी से अधिक की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। विदेशी ब्रोकरेज हाउस चीन के बाजारों को लेकर पहले ही चिंता जाहिर कर चुके है। ज्यादातर ने अपनी रिपोर्ट में चीन के बाजारों में एक बबल बनने की बात कही थी।

वहीं चीन के बाजार का रेग्युलेटर सीएसआरसी (चाइन सिक्युलरिटी रेग्युलेटरी कमिशन) ने शेयर बाजार में हाल की गिरावट की जांच के आदेश दिए है। माना जा रहा है कि बाजार की गिरावट के पीछे बड़ी सट्टेबाजी जिम्मेदार है। सीएसआरसी ने अपने बयान में कहा है कि मामले में शामिल लोगों पर कानून के मुताबिक का कार्रवाई की जाएगी। चीन के फाइनैंशियल फ्यूचर्स एक्सचेंज ने बीते एक महीने में 19 अकाउंट को शॉर्ट सैलिंग के चलते बंद कर दिया है।

घरेलू ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक नजरिए से ग्रीस का भारत पर ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन ग्रीस संकट के चलते आगे कुछ और दिनों तक बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। वहीं चीन के बाजारों में मौजूदा हालातों से एफआईआई निवेश कम होगा, जिससे भारतीय बाजारों को फायदा होगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीन के बाजारों में अनिश्चितता बनी रहेगी, जिससे निवेशक ज्यादा मजबूत नजर आ रहे भारतीय बाजारों की तरफ मुड़ सकते है।

 

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