
यूरोजोन में ग्रीस के बने रहने की कोशिशें नाकाम नजर आ रही है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने कल ग्रीस में इमरजेंसी फंडिंग बढ़ाने के लिए इनकार कर दिया है। इमरजेंसी फंडिंग फिलहाल मौजूदा स्तरों पर ही रहेगी। इसके अलावा ग्रीस में बैंक 6 जुलाई तक बंद रहेंगे।
ग्रीस के इस संकट का असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिला है। शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स 500 अंकों से ज्यादा टूट गया, तो निफ्टी ने भी 175 अंकों का गोता लगाया। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि ग्रीस के इस संकट का आगे भारतीय बाजारों पर कैसा रहेगा असर, और निवेशकों को क्या अपनानी चाहिए रणनीति। इन तमाम सवालों का जवाब जानते हैं कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी और सीईओ निलेश शाह से।
निलेश शाह का कहना है कि ग्रीस संकट 2008 के लीमन ब्रदर्स जैसे संकट की तरह नहीं है। ग्रीस संकट का असर भारतीय बाजारों पर 2008 की तुलना में कम ही रहने का अनुमान है। दरअसल, बाजार ग्रीस संकट का अंदाजा पहले से ही लगा चुका है, यही वजह है कि ग्रीस संकट का असर लीमन संकट से कम होगा। हालांकि, छोटी अवधि के लिए ग्रीस संकट का असर भारतीय बाजारों पर जरूर देखने को मिल सकता है। लेकिन लंबी अवधि के लिहाज से ग्रीस संकट का असर देखने को नहीं मिलेगा।
निलेश शाह के मुताबिक अगर ग्रीस, क्रेडिटर्स की शर्तों को मान लेता है तो ये ग्रीस की पार्टी के लिए राजनीति दृष्टिकोण से मुश्किल भरा फैसला हो सकता है। इसके अलावा ग्रीस संकट के चलते निवेशकों का रुझान विकसित बाजारों के मुकाबले उभरते बाजारों की ओर देखने को मिल सकता है। निलेश शाह की सलाह है कि विदेशी बाजारों की दिक्कतों के कारण भारतीय बाजारों में बिकवाली करना सही रणनीति नहीं होगी।
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