अब केवल छह दिन में सूचीबद्ध कराना होगा IPO

अब केवल छह दिन में सूचीबद्ध कराना होगा IPO

जार नियामक सेबी ने सामान्य आइपीओ को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने की अवधि को 12 दिन से घटाकर छह दिन कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंगलवार को हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला किया गया है। इसके अलावा भी बोर्ड ने कई फैसले लिए है। सेबी ने बाजार से पूंजी जुटाने को पहली बार उतरने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई नियमों में ढील देने का एलान किया है। ऐसी कंपनियों को फंड जुटाने के लिए विदेश जाने की जरूरत न पड़े और घरेलू बाजार से ही उनकी वित्तीय आवश्यकताएं पूरी हो जाए, इसे देखते हुए सेबी ने कई फैसले किए है। ई-कॉमर्स जैसे नई श्रेणी के उद्योग क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों को सूचीबद्ध कराने के लिए अब स्टॉक एक्सचेंजों पर अलग ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध होगा। साथ ही सरकारी कंपनियों के विनिवेश में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के उपाय भी सेबी ने किए है। ई-कॉमर्स जैसे नए क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों को सूचीबद्ध कराने के लिए प्रमोटरों की लॉक-इन अवधि भी केवल छह महीने की होगी। जबकि अन्य कंपनियों के प्रमोटर एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के तीन साल तक अपनी इक्विटी हिस्सेदारी नहीं बेच सकते। सेबी चेयरमैन यूके सिन्हा ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि ऐसी कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर नियमों में भी ढील दी गई है। छह दिन में लिस्टिंग निवेशकों और कंपनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सेबी ने पब्लिक ऑफर लाने की तारीख के छह दिन के भीतर कंपनी के शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग कराना अनिवार्य कर दिया है। फिलहाल कंपनियों को एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने के लिए 12 दिन का वक्त मिलता है। छह दिन में आइपीओ को लिस्ट कराने का नियम पहली जनवरी, 2016 से लागू होगा। फंड जुटाने को फास्ट ट्रैक प्रक्रिया सेबी बोर्ड ने कई कंपनियों को फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत फंड जुटाने की मंजूरी देने का फैसला भी किया है। एक हजार करोड़ रुपये की पब्लिक शेयरहोल्डिंग वाली कंपनी फॉलोआन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के जरिये अब फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से फंड जुटा सकेगी। अभी तक यह सुविधा 3,000 करोड़ रुपये की पब्लिक शेयरहोल्डिंग वाली कंपनियों के लिए थी। इतना ही नही, राइट्स इश्यू के जरिये फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से फंड जुटाने के लिए जरूरी पब्लिक शेयरहोल्डिंग की सीमा को 250 करोड़ रुपये कर दिया गया है। एफएमसी का विलय सितंबर तक कमोडिटी रेगुलेटर वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का सेबी में विलय सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। सेबी प्रमुख सिन्हा ने बताया कि दोनों नियामकों के काम के अंतर का मूल्यांकन चल रहा है। उम्मीद है कमोडिटी मार्केट की जिम्मेदारी सेबी सितंबर के अंत तक संभाल लेगा। सेबी के साथ एफएमसी के विलय का एलान इस साल बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया था। ऐसा होने के बाद एफएमसी भी सीधे वित्त मंत्रालय की देखरेख में आ जाएगा। विनिवेश नियम में ढील सरकारी कंपनियों में विनिवेश को लेकर सरकार की चिंता को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए सेबी ने कंपनियों को ऑफर फॉर सेल यानी ओएफएस के लिए दो बैंकिंग दिवस पहले घोषणा करने की अनुमति दे दी है। ऐसा होने से कंपनियां सोमवार को ओएफएस इश्यू बाजार में ला सकेंगी। अभी तक कंपनियों को दो कारोबारी दिवस पहले सूचना देनी होती थी। चूंकि शनिवार और रविवार को स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार नहीं होता, इसलिए सोमवार को कंपनियां विनिवेश इश्यू नहीं ला पाती है। ऐसी स्थिति में बाजार के सटोरियो को कंपनियों के शेयर मूल्यों के साथ छेड़छाड़ करने का मौका मिल जाता है। ऐसा देखा गया है कि सटोरिये बाजार में कंपनियों के शेयरों को गिरा देते है।  

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