
सरकार कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है। कालेधन को लेकर सरकार इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेनदेन को बढावा देने के लिए नेट बैंकिंग के जरिए होने वाले लेनदेन पर आयकर में छूट देने की तैयारी कर रही है।इस प्रस्तावित नीति का उद्देश्य आने वाले समय में सरकारी या नियमित व्यावसायिक लेनदेन में भी नकदी के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के उपयोग को प्रोत्साहित करना है। इस तरीके से लेनदेन से अर्थव्यवस्था में नकदी की लागत को भी कम किया जा सकेगा और नकली नोटों के प्रचलन में आने से रोकने में भी मदद मिलेगी। देश में इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेनदेन को गति देने के लिए तैयार मसौदे में इसे प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय सुझाए गए है। इसमें व्यय के कुछ हिस्से को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को आयकर में छूट दिए जाने का प्रस्ताव है।
इसमें यह भी कहा गया है कि यह छूट इलेक्ट्रॉनिक भुगतान स्वीकार करने वाले कारोबारियों को भी दिया जा सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू वित्त वर्ष के बजट भाषण में कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेनदेन को बढावा दिया जायेगा ताकि कालेधन के प्रवाह पर काबू पाया जा सके। उन्होंने कहा था कि सरकार नकदी लेनदेन को हतोत्साहित करना चाहती है और बैंकिंग तंत्र के जरिए लेनदेन को बढावा देना चाहती है और कालेधन के प्रवाह को काबू करने का भी यह एक तरीका हो सकता है।
जेटली ने कहा था कि प्रत्येक भारतीय के पास रूपे डेबिट कार्ड होना चाहिए और डेबिट या क्रेडिट कार्ड से लेनदेन को बढावा देने और नकदी लेनदेन को हतोत्साहित करने के लिए शीघ्र उपाय किए जाएंगे। मसौदे में ई-ट्रांजेक्शन को वर्णित किया गया है जिसमें कहा गया है कि ई-ट्रांजेक्शन के तहत एक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वित्तीय लेनदेन के लिए अधिकृत होगा और इसके जरिए हुआ लेनदेन सीधे एक दूसरे के खाते में हस्तातंरित करने की छूट होगी। मसौदे को मायगोवडॉटइन पर सरकार ने पोस्ट कर आम लोगों की राय मांगी है।
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