इकॉनमी ग्रोथ बढ़ाने के लिए खुलकर पैसा खर्च कर रही है सरकार

इकॉनमी ग्रोथ बढ़ाने के लिए खुलकर पैसा खर्च कर रही है सरकार

अधिक टैक्स कलेक्शन के बाद फाइनैंस मिनिस्ट्री खुलकर खर्च कर रही है। उसने मंत्रालयों और सरकारी विभागों से भी खर्च शुरू करने के लिए कहा है, जिससे इकनॉमिक ग्रोथ तेज की जा सके। दरअसल, अब तक प्राइवेट सेक्टर की ओर से इन्वेस्टमेंट तेजी से नहीं बढ़ा है। इसलिए सरकार की यह पहल मायने रखती है। फाइनैंस मिनिस्ट्री का जोर कैपिटल एक्सपेंडिचर पर है।

अप्रैल-मई के बीच इनडायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू में 39.2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। मिनिस्ट्री इसका फायदा उठाकर ग्रोथ तेज करना चाहती है। उसके एक अधिकारी ने बताया, हमने मंत्रालयों से खर्च बढ़ाने को कहा है। सरकार रोड, शिपिंग, रूरल डिवेलपमेंट और ऐग्रिकल्चर पर पैसा खर्च करने पर जोर दे रही है। रिजर्व बैंक ने इंटरेस्ट रेट कट को लेकर कंजर्वेटिव रवैया अपनाया हुआ है। वहीं, सरकार फिस्कल डेफिसिट के चैलेंज के चलते राहत पैकेज देने की हालत में नहीं है। ऐसे में फाइनैंस मिनिस्ट्री का मानना है कि इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने के लिए सरकार का खर्च बढ़ाना जरूरी है।

आरबीआई ने जनवरी के बाद से रीपो रेट में 0.75 पर्सेंट की कटौती की है। आलोचकों का कहना है कि सेंट्रल बैंक रेट घटाने के मामले में समय से पीछे चल रहा है। वे इस संदर्भ में एशियाई देशों का हवाला दे रहे है, जो इकनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए तेजी से रेट घटा रहे है। इस फाइनैंशल इयर की शुरुआत से ही सरकार खुलकर पैसा खर्च कर रही है। पूरे फाइनैंशल इयर के लिए उसने जितना पैसा खर्च करने का लक्ष्य रखा है, उसका 8.7 पर्सेंट उसने अप्रैल में खर्च किया। यह पिछले 20 साल में सबसे ज्यादा है। अभी तक के संकेतों से लग रहा है कि आगे भी यह ट्रेंड बना रहेगा। फाइनैंस मिनिस्ट्री के अधिकारी ने बताया, सरकार के इस कदम से इकनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी।\' फाइनैंशल इयर 2016 में केंद्र ने कुल 17.77 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है।

वहीं, पिछले दो फाइनैंशल इयर में सरकार ने खर्च में कटौती की थी। यह कमी खासतौर पर प्लान एक्सपेंडिचर में की गई थी। उसकी वजह यह थी कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन में कोई चूक नहीं चाहती थी और टैक्स कलेक्शन पर दबाव बना हुआ था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के खुलकर पैसा खर्च करने से इकॉनमी को फायदा होगा क्योंकि अब तक प्राइवेट सेक्टर की ओर से इन्वेस्टमेंट शुरू नहीं हुआ है।

इंडिया रेटिंग के चीफ इकनॉमिस्ट डी के पंत ने बताया, सरकार के शुरू में ज्यादा पैसा खर्च करने का फायदा यह होगा कि प्राइवेट सेक्टर की ओर से भी निवेश जल्द शुरू हो जाएगा। रोड मिनिस्ट्री इंजिनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) रूट से हाईवेज बनाने पर ध्यान दे रही है। इस सेक्टर में पीपीपी मॉडल का जोर बढ़ने में वक्त लगेगा क्योंकि ज्यादातर प्राइवेट कंपनियां वित्तीय मुश्किल में है। ईपीसी रूट से इस महीने कई रोड प्रॉजेक्ट्स अलॉट किए जा सकते है

 

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