
अभी तक प्याज के ही महंगे होने की बात की जा रही थी, लेकिन ताजा आंकड़ों के मुताबिक खाद्य तेल और दूध की कीमतों में भी खासा इजाफा हो गया है। दूध और तेल के दामों में बीते एक महीने में ही 10-15 फीसदी तक का उछाल आया है। सब्जियों की बात करें तो प्याज के अलावा किचन की हर रोज की जरूरत टमाटर के अलावा भिंडी के दाम में भी 30 से 50 फीसदी तक की बढ़त देखने को मिली है। व्यापारियों की मानें तो मॉनसून के उम्मीदों के मुताबिक न रहने पर हालात और खराब हो सकते है।
यही नहीं खाद्यान्न उत्पादन में कमी की भरपाई के लिए चिकन के पर्याप्त उत्पादन की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन पिछले दिनों चली लू ने इन उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। गर्म हवाओं के थपेड़ों की वजह से बीते दो सप्ताह में ही करीब 2.4 करोड़ मुर्गियों की मौत हो गई। जिसके चलते चिकन के दामों में भी 25 से 30 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला है। यही नहीं चिकन कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि यदि आने वाले दिनों में भी इसी तरह की गर्मी जारी रहती है, तो मीट खाना भी लोगों के लिए काफी महंगा साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि मॉनसून तय समय से काफी देर से आया है, यही नहीं चक्रवात की चपेट में आने से अब भी मॉनसून को पूरी गति नहीं मिल पाई है। कमजोर मॉनसून की आशंकाओं के चलते बाजार में निराशाजनक ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब तक कमोबेश महंगाई को थामे रखने में सफल रहने वाली मोदी सरकार ने भविष्य की आशंकाओं के चलते पहले ही दालों के आयात का फैसला कर लिया है।
पिछले साल भी मॉनसून खराब रहा था, लेकिन लगातार दूसरे साल ऐसी स्थिति होने पर गहरी मुश्किल हो सकती है। दक्षिण भारत में जहां बारिश शुरू हो गई है, वहां भी मॉनसून के औसत से सात फीसदी कम रहने का अनुमान है। जबकि उत्तर भारत समेत पूरे देश में मॉनसून के 12 फीसदी कम रहने की संभावना है।
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